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पूंजी बाजार नियामक द्वारा ऑनलाइन म्युचुअल फंड (एमएफ) प्लेटफॉर्मों को ट्रांजैक्शन शुल्क वसूलने की अनुमति दिए जाने से परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां (AMC) इसे लेकर चिंतित हैं कि इस शुल्क भुगतान का बोझ आखिरकार उन पर ही पड़ सकता है। मंगलवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने खासकर निवेश प्लेटफॉर्मों के लिए तैयार एक्जीक्यूशन-ओनली प्लेटफॉर्म (ईओपी) ढांचे को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी। ये प्लेटफॉर्म म्युचुअल फंडों की डायरेक्ट योजनाओं की बिक्री करते हैं।
अब तक, ये प्लेटफॉर्म या तो निवेश सलाहकार (आईए) या स्टॉकब्रोकिंग लाइसेंस के जरिये काम कर रहे थे। हालांकि इन नियमों की जटिलताएं सामने आनी बाकी हैं, लेकिन नियामक ने कहा है कि ऐसे प्लेटफॉर्मों को लेनदेन पर शुल्क वसूलने की अनुमति होगी। यह शुल्क या तो एएमसी या निवेशक द्वारा चुकाया जाएगा और निवेश प्लेटफॉर्म यह निर्णय लेंगे कि वे किससे शुल्क लेना चाहेंगे। एएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यदि ये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एएमसी एजेंट बनने का निर्णय लेते हैं तो हमारा मार्जिन प्रभावित होगा।’
एक अन्य फंड हाउस के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा, ‘हम नहीं जानते कि यह शुल्क कितना होगा। यदि सेबी इसका निर्णय हम पर और इन प्लेटफॉर्मों पर छोड़ता है, तो इसे लेकर बदलाव की गुंजाइश रहेगी। जो भी शुल्क वसूला जाएगा, इसका बोझ हम पर पड़ने की आशंका है।’मुख्य कार्याधिकारियों का मानना है कि ज्यादा खर्च से उनके मार्जिन पर अधिक दबाव पड़ेगा।
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सेबी ने इसे लेकर ऊपरी सीमा तय की है कि कितना खर्च वे वसूल सकते हैं। एएमसी का मानना है कि ये प्लेटफॉर्म निवेशकों के एजेंट बनना चाहेंगे और उनसे ट्रांजेक्शन शुल्क वसूलेंगे। एक बड़ी एएमसी के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा, ‘उन्हें मुख्य तौर पर निवेशकों के साथ जाना चाहिए। नहीं तो, हमें आखिरकार उन सभी के साथ बातचीत करनी होगी।’ ईओपी ढांचे की तर्ज पर, इन प्लेटफॉर्मों के पास दो विकल्प होंगे।