आने वाले महीनों में दो प्रमुख फंड हाउस निप्पॉन इंडिया और ऐक्सिस के ऐक्टिव मोमेंटम फंड लाए जाने की संभावना है। इस समय इस तरह का सिर्फ एक ही ऐक्टिव मोमेंटम फंड है और वह सैमको म्युचुअल फंड का है। कई अन्य फंडों के पास पैसिव खंड में मोमेंटम आधारित फंड हैं।
इन पैसिव फंडों ने बाजार में तेजी के बीच पिछले कुछ वर्षों में दमदार प्रदर्शन किया है। उदाहरण के लिए निफ्टी 200 मोमेंटम 30 सूचकांक ने पिछले एक साल में 65 प्रतिशत का रिटर्न दिया है जबकि निफ्टी-500 के लिए यह आंकड़ा 38 प्रतिशत रहा। मोमेंटम निवेशकों का मानना है कि एक बार जब कोई ट्रेंड बन जाता है, चाहे वह ऊपर की ओर हो या नीचे की तो यह एक निश्चित अवधि तक रहता है।
इसलिए वे ऊपर जाते शेयरों में पोजीशन लेकर बाजार के उतार-चढ़ाव का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। सैमको में फंड प्रबंधक और शोध प्रमुख पारस मटालिया ने ऐक्टिव और पैसिव मोमेंटम फंडों के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि ऐक्टिव दृष्टिकोण से जुड़ा नियंत्रण और लचीलापन बेहतर प्रदर्शन हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘ऐक्टिव फंड बाजार में गिरावट के दौरान शुद्ध इक्विटी जोखिम को कम करके गिरावट से बचा सकते हैं। यह दृष्टिकोण उसी समय पर पुनर्संतुलन में सक्षम बनाता है जबकि पैसिव फंडों के मामले में 6 माह की नियत अवधि के कारण ऐसा नहीं है।’ मटालिया के अनुसार ऐक्टिव फंडों को स्टॉक जगत और पोर्टफोलियो में शेयरों की संख्या चुनने की भी स्वतंत्रता होती है।
फंड शुरू करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास ऐक्सिस फंड ने दस्तावेज सौंपा है जिसके अनुसार उसका ऐक्टिव मोमेंटम फंड अपने मात्रात्मक मॉडल के आधार पर पोर्टफोलियो बनाएगा लेकिन अंतिम निर्णय फंड मैनेजर ही लेगा। निप्पॉन ने फंड का प्रबंधन क्वांटिटेटिव मॉडल के माध्यम से करने की योजना बनाई है।