भारत में यात्रा के शौकीन लोगों की संख्या बढ़ रही है। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक यात्रा खंड आज के 5 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 2040 तक 15 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने की संभावना है और पर्यटकों की अगली लहर तेजी से उभरते चीन, भारत, सऊदी अरब और वियतनाम जैसे बाजारों से आ रही है। इन देशों के पर्यटक घूमने के मामले में अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे पारंपरिक पर्यटन शौकीनों को पीछे छोड़ रहे हैं। ‘पर्यटन में 15 लाख करोड़ अवसरों की तलाश’ शीर्षक से जारी यह रिपोर्ट 11 देशों के लगभग 5,000 यात्रियों के सर्वेक्षण पर आधारित है।
बीसीजी की पार्टनर नितिमा मल्होत्रा ने कहा, ‘भारत वैश्विक स्तर पर सबसे गतिशील पर्यटन बाजारों में उभर रहा है। यात्रा उद्योग में एक स्पष्ट बदलाव यह देखा जा रहा है कि अब युवा पीढ़ी इसमें भी मिलेनियल्स और जेन जेड बड़ी संख्या में घूमने-फिरने निकल रहे हैं। ये युवा न केवल अधिक से अधिक यात्रा कर रहे हैं बल्कि गुणवत्ता व्यक्तिगत और उद्देश्यपूर्ण नए-नए अनुभव हासिल कर रहे हैं। भारत में ‘ब्लीज़र’ यानी काम के साथ आराम की प्रवृत्ति काफी लोकप्रिय हो रही है।
भारतीयों में घरेलू अवकाश यात्रा खर्च सालाना 12% बढ़ने का अनुमान है, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2040 तक इसमें 10% की वृद्धि होने का अनुमान है।
भारत में युवा पीढ़ी अगले वर्ष में 22% अधिक यात्राएं कर सकती है। साथ ही यात्रा पर अधिक खर्च करने के लिए भी तैयार दिखती है।
58% भारतीय यात्री प्रकृति, शहर, समुद्र तट और सांस्कृतिक स्थलों पर जाना पसंद करते हैं।
10% भारतीयों की आध्यात्मिक पर्यटन में रुचि है, जो अन्य देशों की तुलना में अधिक है।
आराम- 15%
खोज- 13%
ठिकाना बदलना- 11%
यात्रा रुझान
भारत में अकेले यात्रा का रुझान कम: यहां 28% लोग अपने साथी के साथ यात्रा करना पसंद करते हैं जबकि 23% परिवार के साथ छुट्टियों में घूमने जाते हैं और केवल 9% लोग ही अकेले यात्रा पर निकलते हैं।
ब्लीज़र ब्रेक : 81% भारतीय यात्रियों ने कम से कम एक बार कारोबारी काम के साथ घूमने-फिरने की योजना जरूर बनाई है।
1. अमेरिका- विदेश में 61.2 करोड़ रातें
2. जर्मनी- विदेश में 49 करोड़ रातें
3. ब्रिटेन- विदेश में 41.1 करोड़ रातें
4. चीन- विदेश में 26.5 करोड़ रातें
5. कनाडा- विदेश में 24.3 करोड़ रातें
6. फ्रांस- विदेश में 23.8 करोड़ रातें
7. भारत- विदेश में 16.5 करोड़ रातें
स्रोत: बीसीजी रिपोर्ट
संकलन: अक्षरा श्रीवास्तव