भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पुराने छात्र अपनी सामाजिक परियोजनाओं के लिए फंड जुटाने की नई योजनाएं बना रहे हैं।
इन परियोजनाओं का मकसद ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं पैदा करना और भारत के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) का कायाकल्प करना है।
पैन आईआईटी एल्युमिनाई (एल्युमिनाई संगठन) के अध्यक्ष और मासटेक लिमिटेड के संस्थापक अशांक देसाई ने बताया कि फिलहाल संगठन में आईआईटी के करीब 1,75,000 सदस्य हैं।
पैन आईआईटी एल्युमिनाई ने ‘इंडो-यूएस कोलैबोरेशन ऑफ इंजीनियरिंग एजुकेशन’, ‘आईटीआई के लिए आईआईटीयन’ और ‘रीच फॉर इंडिया’ नाम से तीन महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की हैं। इन परियोजनाओं की फंडिंग का जिम्मा सरकार, कॉरपोरेशन और आईआईटी एल्युमिनाई का है।
आईयूसीईई परियोजना की शुरुआत इस मकसद से की गई है ताकि आईआईटी के अलावा दूसरे कॉलेजों और प्रशिक्षण संस्थानों में भी शिक्षाकर्मियों का स्तर सुधारा जा सके। हर साल अमेरिका से 50 प्रोफेसर भारत आएंगे जो 500 शिक्षाकर्मियों को प्रशिक्षण देंगे।
ये भारतीय शिक्षाकर्मी फिर अपनी ओर से 10 शिक्षाकर्मियों को प्रशिक्षित करेंगे। देसाई ने बताया कि इस प्रयास से अगले पांच सालों में देश भर में 80,000 शिक्षाकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा सकेगा।
रीच फॉर इंडिया परियोजना की शुरुआत इसलिए की गई है ताकि ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें और ज्यादा से ज्यादा उद्यमी तैयार किए जा सकें। पाइलट परियोजना के तहत चेन्नई और जयपुर के नजदीक एक वेल्डिंग प्रशिक्षण स्कूल और एक ड्राइविंग स्कूल खोला गया है।
फिलहाल हर स्कूल में 50 छात्र तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। अगले कुछ महीनों में 2 से 3 करोड़ रुपये के निवेश से देश भर में ऐसे और 18 स्कूल खोले जाएंगे।
पैन आईआईटी एल्युमिनाई के महासचिव अशोक कालबाघ ने बताया कि पुराने छात्रों ने ‘रूरल बिजनेस हब’ नाम से महाराष्ट्र के यवतमाल में एक पाइलट परियोजना की शुरुआत की है।
यह जगह कपास की खेती के लिए प्रसिद्ध है। इस परियोजना के तहत तीन पंचायतों का चयन किया गया है जहां पांच छोटे कपास मिल तैयार किए जाने हैं।
कालबाघ ने कहा कि इस परियोजना की सफलता को देखने के बाद देश के दूसरे गांवों में भी ऐसे प्रयास किए जाएंगे। ‘आईटीआई के लिए आईआईटीयन’ के संयोजक (भारत) रंजन कुमार ने बताया कि इस परियोजना की शुरुआत भारतीय औद्योगिक परिसंघ के साथ मिलकर की गई है।
इस परियोजना का उद्देश्य भारत में तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षण संस्थानों को आईआईटी के समकक्ष बनाना है। इस परियोजना के पहले चरण के तहत अगले दो सालों में 300 सरकारी आईटीआई संस्थानों से 40,000 छात्रों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
कामगारों को उद्योग विशेषज्ञों के साथ जोड़ने के लिए किसी एक दक्षिणी राज्य में हफ्ते के सातों दिन और दिन के 24 घंटे काम करने वाले कॉल सेंटर खोलने का निर्णय भी लिया गया है।