भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने गुरुवार को वैल्यू कैपचर फाइनैंस (वीसीएफ) पर आधारित भूमि अधिग्रहण नीति को मंजूरी दे दी। वीसीएफ सार्वजनिक वित्त पोषण का एक प्रकार है, जो सार्वजनिक बुनियादी ढांचे द्वारा सृजित कुछ या पूरा मूल्य निजी भूस्वामियों के लिए वसूलता है। एनएचएआई द्वारा स्वीकृत नियमों में राज्य एवं एनएचएआई मिलकर वीसीएफ को लागू करने की कोशिश करेंगे। इसमें दोनों राजमार्ग निर्माण की लागत वहन करेंगे ताकि उन्हें व्यवहार्य बनाया जा सके।
भारतमाला परियोजना में जहां राज्य सरकारों ने पर्याप्त एवं समय पर भूमि मुहैया कराई है, वहां तेजी से परियोजनाओं के क्रियान्वयन में ग्रांड चैलेंज मैकेनिज्म को अपनाने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा अगर राज्य सरकार बाइपास परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण लागत का कम से कम 25 फीसदी हिस्सा मुहैया कराती है तो ऐसी परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
प्राधिकरण ने एनएचएआई की तरफ से पेश तरीके के मुताबिक राज्यों को परियोजना प्रभावित क्षेत्र या ग्रीनफील्ड या ब्राउनफील्ड राजमार्ग के किसी भी तरफ एक किलोमीटर क्षेत्र में भूमि के मूल्य में बढ़ोतरी को साझा करने की मंजूरी दी है। राज्य परियोजना प्रभावित जोन में आवासीय या वाणिज्यिक रियल एस्टेट के विकास की संभावनाएं तलाश सकते हैं, जिसके लिए राजमार्ग या सर्विस रोड तक का संपर्क मार्ग एनएचएआई द्वारा दिया जा सकता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पिछले कुछ वर्षों से जमीन अधिग्रहण की अधिक लागत की चुनौती से जूझ रहा है। किसी राजमार्ग को दो लेन से चार लेन बनाने में करीब 12 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की लागत आती है। यह आंकड़ा एक्सप्रेसवे जैसी ग्रीनफील्ड परियोजना में पांच-छह गुना अधिक होगा।
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे की लागत 11,000 करोड़ रुपये है, जिसमें 5,673.05 करोड़ रुपये जमीन की लागत थी। मंत्रालय को वित्त वर्ष 2021 के लिए 91,823 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जिसे बाद में संशोधित कर 1.02 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया।