सड़क मार्ग व रेल मार्ग के बीच माल ढुलाई को लेकर जंग कोविड-19 महामारी में नया मोड़ ले रहा है। लंबे समय बाद रेलवे को सड़क से माल ढुलाई में हिस्सेदारी छीनने में सफलता मिली है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह थोड़े समय के लिए हो सकता है।
सितंबर में रेल से माल ढुलाई में 15 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है और 13 अक्टूबर तक यह पिछले साल से 18 प्रतिशत ज्यादा था। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से पिछले 2 महीनों के दौरान सड़क से कम से कम 6-7 प्रतिशत ढुलाई रेलवे की ओर जाने की वजह से हुआ है।
सड़क मार्ग से रेलवे की ओर ढुलाई जाने वाले प्रमुख माल में नमक, सीमेंट, ऑटोमोबाइल और तैयार स्टील शामिल हैं। कच्छ और देश के अन्य हिस्सों से औद्योगिक नमक की ढुलाई में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, वहीं ऑटोमोबाइल क्षेत्र में 12 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘उद्योग में वृद्धि हुई है, मात्रा बढ़ा है और फर्मों ने रेलवे से ढुलाई बढ़ाई है। बहरहाल शुरुआती आंकड़ोंं से संकेत मिलते हैं कि सड़क से रेलवे की ओर 6-7 प्रतिशत माल ढुलाई आई है।’ अधिकारी ने कहा कि कुछ रेलवे ने ढुलाई बढ़ाने के लिए कुछ छूट की पेशकश की है। इसमें कोयले, लौह अयस्क, लोहा और स्टील की ढुलाई पर लंबी अवधि के लिए 15 से 20 प्रतिशत तक की छूट जैसे कदम शामिल हैं। इसके अलावा कम अवधि के लिए छूट और व्यस्त समय में लगने वाला अधिभार हटाया जाना भी एक वजह है।
बहरहाल ट्रक वालों का कहना है कि रेल से मालढुलाई पर छूट देकर इसे आकर्षक बनाया जाता है, तब भी अन्य शुल्कों की वजह से रेलवे से ढुलाई महंगी है। आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के चेयरमैन एसके मित्तल ने कहा, ‘माल ढुलाई की दरों के ऊपर लोडिंग और अनलोडिंग शुल्क जैसे कई हैंडलिंग शुल्क लगते हैं। इसकी वजह से रेलवे से ढुलाई महंगी पड़ती है। पिछले 5 साल के दौरान माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत रही है।’
भूमार्ग से ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 1950-51 में 86.2 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 30-35 प्रतिशत रह गई है। ढुलाई की क्षमता कम हो और ढुलाई की दरें प्रतिस्पर्धी न होने के कारण ऐसा हुआ है। 1990-91 में रेलवे की हिस्सेदारी करीब 62 प्रतिशत थी। ट्रांसपोर्टरों को यह भी लगता है कि माल ढुलाई की दरें केवल बल्क कार्गो पर असर डालती हैं और कम ढुलाई या कार्गो सामान पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है। इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग (आईएफटीआरटी) के समन्वयक और सीनियर फेलो एसपी सिंह ने कहा, ‘उपभोक्ता वस्तुएं और तैयार उत्पादों की ढुलाई में अभी भी सड़क मार्ग को प्राथमिकता दी जाती है।’
दिलचस्प है कि रेलवे को न सिर्फ सड़क से ढुलाई में हिस्सा मिल रहा है, बल्कि समुद्री मार्ग का हिस्सा भी मिल रहा है। बड़े कारोबारी, जो लौह अयस्क की ढुलाई के लिए समुद्री और रेल मार्ग दोनों का ढुलाई में इस्तेमाल कर रहे थे, अब रेलवे को प्राथमिकता दे रहे हैं।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और मुख्य कार्याधिकारी वीके यादव ने कहा, ‘सभी जिंसों में हम सकारात्मक वृद्धि देख रहे हैं। सितंबर महीने में यह 15 प्रतिशत थी। हम उम्मीद करते हैं कि अक्टूबर में और बढ़ोतरी होगी, क्योंकित्योहारी सीजन शुरू हो रहा है।’ मार्च से जून तक देश भर में चला लॉकडाउन, जो अभी भी कुछ राज्यों में जारी है, रेलवे के लिए लाभदायक साबित हुआ है क्योंकि वस्तुओं की एक राज्य से दूसरे राज्य में सड़क मार्ग से आवाजाही कठिन हो गई थी। क्रसिल इन्फ्रास्ट्रक्चर एडवाइजरी के डायरेक्टर और प्रैक्टिस लीड ट्रांसपोर्ट जगन्नारायण पद्मनाभन ने कहा, ‘चालकों की कमी और लॉकडाउन के अलग अलग स्वरूप की वजह से ट्रांसपोर्टरों को समस्या हुई है और इसकी वजह से परिवहन के लिए रेलवे का विकल्प चुना गया। अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने से हम एक बार फिर बेहतर आवाजाही देखेंगे और सड़क मार्ग से ढुलाई बढ़ेगी।’
