उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि उन्हें कर्ज भुगतान से राहत के दौरान बकाया ब्याज पर ब्याज वसूलने के पीछे उन्हें कोई तर्क नजर नहीं आ रहा है। हालांकि न्यायालय ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को इस मामले में उन्हें अपनी राय बनाने के लिए कहा। अब इस मामले पर अगली सुनवाई अगस्त के पहले सप्ताह में होगी।
कोविड-19 महामारी के बाद पैदा हुए प्रतिकूल हालात के बीच कर्जदाताओं को राहत देने के लिए आरबीआई ने उन्हें छह महीने तक कर्ज भुगतान टालने की सुविधा है। आरबीआई उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें कर्ज भुगतान से राहत के दौरान ब्याज वसूल जाने के प्रावधान को चुनौती दी गई है। याचिक पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरबीआई और वित्त मंत्रालय को उनका रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है।
शीर्ष न्यायालय ने इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) से यह भी जानना चाहा कि क्या कर्ज भुगतान टलने के दौरान नए दिशानिर्देश लागू किए जा सकते हैं। न्यायाधीश अशोक भूषण की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा,’मुझे लगता है कि वित्त मंत्रालय और आरबीआई को इस मामले पर और सोच-विचार करने के लिए थोड़ा समय दिया जाना चाहिए।’
केंद्र का पक्ष रखने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बैंकों को जमाकर्ताओं को ब्याज देना पड़ता है, इसलिए कर्ज भुगतान से राहत के दौरान ब्याज से छूट देना आसान नहीं है। मेहता ने कहा,’देश में करीब 13.3 करोड़ जमाकर्ता हैं, जिन्हें उनकी बैंकों में जमा रकम पर ब्याज का भुगतान किया जाना है। अगर ऋण पर ब्याज माफ कर दिया जाता है तो इसका प्रतिकूल असर होगा।’
उन्होंने कहा कि कर्ज भुगतान से राहत के दौरान ब्याज माफी से बैंकों के वित्तीय स्थायित्व पर असर हो सकता है, साथ ही जमाकर्ताओं को भी कोई लाभ नहीं होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि केंद्र मामला-दर-मामला आधार पर इस पर विचार कर सकता है।
पीठ ने कहा, ‘कर्ज भुगतान की अवधि के दौरान अगर ऋणधारकों से ब्याज वसूला जाता है तो इसका अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आएगा। जिस उद्देश्य से आरबीआई ने कर्ज भुगतान से छह महीने के लिए राहत दी है, उसका कोई लाभ नहीं मिल पाएगा।’ इससे पहले 12 जून को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने वित्त मंत्रालय और आरबीआई को भुगतान की टली किस्तों के लिए ब्याज पर ब्याज वसूली से ऋणधारकों को छूट देने पर विचार करने के लिए तीन दिन में निर्णय लेने के लिए कहा था। शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा था कि सवाल कर्ज भुगतान से राहत के दौरान पूर्ण ब्याज से छूट का नहींं है, बल्कि ब्याज पर ब्याज वसूले जाने से जुड़ा है।
4 जून को इसी मामले पर सुनवाई में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि कर्ज भुगतान से राहत की अवधि के दौरान ब्याज वसूलना नुकसानदेह साबित हो सकता है।
