सरकार ने न्यूनतम और अधिकतम यात्री किरायों के बारे में लगी बंदिशें हटाने के लिए विमानन कंपनियों से बात शुरू कर दी है। कंपनियों ने पिछले दिनों बंदिशें हटाने की अपनी पुरानी मांग उठाते हुए कहा था कि इनकी वजह से देश में हवाई यातायात पूरी तरह पटरी पर नहीं लौट पा रहा है। इसी के बाद बातचीत शुरू की गई है।
सूत्रों ने बताया कि विमानन कंपनियों के मुख्य कार्य अधिकारी इस पर बातचीत के लिए अगले हफ्ते सरकार से मिलेंगे। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अंतिम निर्णय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया लेंगे मगर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।’ मामले की जानकारी रखने वालों ने यह भी बताया कि समूचा विमानन उद्योग इस मसले पर एकमत नहीं है। माना जा रहा है कि बाजार में दबदबा रखने वाली इंडिगो, विस्तार आदि किरायों पर लगी बंदिश हटाने की मांग कर रही हैं, लेकिन स्पाइसजेट और गो फस्र्ट ने टिकट की कीमतों पर सरकार का हस्तक्षेप जारी रखने की मांग की है।
सरकार ने विमानन उद्योग को 1994 में विनियमित कर दिया था और हवाई किराये तय करने का काम बाजार पर छोड़ दिया था। मगर 25 मई, 2020 को हवाई यातायात बहाल होने के बाद नागर विमानन मंत्रालय ने विमान अधिनियम, 1934 के एक प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए जहाजों की यात्री क्षमता और टिकट की न्यूनतम तथा अधिकतम कीमत तय करना शुरू कर दिया। पिछले साल अक्टूबर में मंत्रालय ने घरेलू उड़ानों में क्षमता पर लगी बंदिश हटा दीं मगर यात्रा की तारीख से 15 दिन पहले तक टिकटों की कीमत पर नियंत्रण जारी रहा। सरकार ने कहा कि ये बंदिशें इसीलिए लगाई गई थीं ताकि स्पाइसजेट और गो एयर जैसी कमजोर वित्तीय हालत वाली कंपनियां दिवालिया नहीं हो जाएं।
एक विमानन कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, ‘यातायात बढ़ रहा है क्योंकि कोविड से पहले लगाए गए लगभग सभी प्रतिबंध खत्म कर दिए गए हैं। बंदिशें कम होने से लोग ज्यादा यात्रा कर रहे हैं। लेकिन उड़ान भरने वालों की संख्या 3 से 3.5 लाख के बीच अटकी है। इसकी बड़ी वजह यह है कि यात्रा से 15 दिन पहले तक के किरायों पर बंदिशें लगी होने के कारण डायनमिक किराये नहीं मिल पा रहे हैं, जो बाजार को बढ़ाएंगे।’ कोविड से पहले विमानन कंपनियां रोजाना 4 लाख यात्रियों को ले जा रही थीं। विमानन ईंधन की कीमत बढऩे के कारण विमानन कंपनियां टिकट की कीमत बढ़ाने पर मजबूर हुई हैं मगर अधिकारियों का कहना है कि हवाई टिकटों की कीमत बदलती रहती है और यात्रियों को लुभाने के लिए उन्हें किराये कम रखने पड़ते हैं।