देश भर में कैंपस प्लेसमेंट की धूमिल संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कई बिजनेस-स्कूलों ने अपने छात्रों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है।
मुंबई स्थित एसपी जैन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च ने यह घोषणा की है कि खुद का कोई उद्यम शुरू करने के इच्छुक छात्रों को शुरुआती वित्तीय सहायता के रूप में 20 लाख रुपये मुहैया कराए जाएंगे।
इंस्टीटयूट के डीन एम एल श्रीकांत ने बताया, ‘बाजार में नौकरी से जुड़ी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हम अपने छात्रों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में जुटे हुए हैं। शुरुआती तौर पर हम छात्रों को आर्थिक सहायता मुहैया कराएंगे और उस उद्यम में उनके साझेदार बनेंगे। अगर उद्यम सफल हो जाता है तो हम उन से पैसे वापस करने की मांग करेंगे।’
बिजनेस स्कूल ने राष्ट्रीय उद्यमिता नेटवर्क के साथ मिलकर एक उद्यमिता प्रकोष्ठ की स्थापना की है। पिछले साल इस संस्थान के करीब पांच छात्रों ने कैंपस प्लेसमेंट के बजाए अपना खुद का एक उद्यम शुरू करने का फैसला किया था।
जबकि इस साल यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस संस्थान के करीब 20 छात्र उद्यमशीलता का रास्ता अपनाएंगे। अगले शैक्षणिक वर्ष के लिए इंस्टीटयूट ने 10 ऐसे छात्रों की भर्ती करने की योजना बनाई है जो खास तौर से कैंपस में उद्यमशीलता की स्थापना के लिए प्रशिक्षिण देंगे।
इस अप्रत्याशित मंदी ने देश भर के विभिन्न बिजनेस स्कूलों के फाइनल प्लेसमेंट को बुरी तरह प्रभावित किया है। देश के प्रीमियम बिजनेस स्कूलों पर भी मंदी का जबरदस्त प्रतिकूल असर पड़ा है।
बी-स्कूलों से बड़ी संख्या में नौकरियों के लिए कैंपस प्लेसमेंट करने वाले निवेश बैंकों ने भी पिछले साल तक यह फैसला किया था कि वे इस साल कैंपस प्लेसमेंट थोड़ा कम ही करेंगे।
पिछले साल जिन कंपनियों ने नए स्नातकों की भर्ती की थी, वहां वेतन को लेकर मामला काफी फंसा रहा।
इसलिए इस साल छात्रों ने अंतिम प्लेसमेंट के दौरान अधिक वेतन की उम्मीदों को छोड़ दिया है। ज्यादातर छात्र कम से कम पिछले साल इतनी वेतन की उम्मीद कर रहे हैं। हाल ही में नीलसन कैंपस ट्रैक बी-स्कूल के सर्वेक्षण से यह बात सामने आई है कि इस साल यह उम्मीद जताई जा रही है कि छात्रों के लिए औसत वेतन 14 लाख रुपये तक रहेगा।
मंदी के इस संकट से उभरने के लिए बिजनेस स्कूल अपने छात्रों को खुद का उद्यम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। भारतीय प्रबंधन संस्थान, बेंगलूर (आईआईएम-बी) जहां छात्रों को खुद का उद्यम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, वहीं संस्थान ने यह भी कहा कि अगर उनका उद्यम असफल हो जाता है तो वे संस्थान से पास होने के दो साल बाद भी कैंपस प्लेसमेंट के लिए आ सकते हैं।
आआईएम-बी के अध्यक्ष (प्लेसमेंट) सौरभ मुखर्जी ने बताया, ‘एक ओर जहां बाजार में नौकरियों की आफत नजर आ रही है और बड़ी संख्या में उद्यम सफलता की सीढ़ी चढ़ने में लगे हुए हैं, वैसे में हम अपने छात्रों को खुद के नए उद्यम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। अगर इसके बाद भी कोई छात्र सफल नहीं हो पाता है तो उसके लिए कम से कम दो सालों तक कैंपस प्लेसमेंट की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।’