वायरस के प्राकृतिक होने के संकेत

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 2:58 AM IST

वैज्ञानिकों के एक समूह ने ‘द लैंसेट पत्रिका’ में लिखा है कि इस सिद्धांत का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक रूप से मान्य साक्ष्य नहीं है कि कोरोनावायरस चीन में एक प्रयोगशाला से निकला है और हाल में किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि वायरस की उत्पत्ति प्राकृतिक रूप से हुई है। सोमवार को प्रकाशित रिपोर्ट को दुनिया भर के दो दर्जन जीवविज्ञानी, पारिस्थितिकीविदों, महामारी विज्ञानियों, चिकित्सकों, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और पशु चिकित्सकों ने संकलित किया है। लेखकों ने पत्रिका में लिखा, हमारा मानना है कि विश्वसनीय और समीक्षा किए गए साक्ष्यों से सुराग मिला है कि वायरस प्राकृतिक तरीके से तैयार हुआ है जबकि इस सिद्धांत का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक रूप से मान्य साक्ष्य नहीं है कि कोरोनावायरस एक प्रयोगशाला से निकला है। वैज्ञानिकों की इसी टीम ने पिछले साल द लैंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट में भी प्रयोगशाला से तैयार किए गए वायरस के विचार को षडय़ंत्रकारी सिद्धांत करार देते हुए खारिज कर दिया था। नई रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब कई देश कोरोनावायरस की उत्पत्ति की और अधिक जांच करने का आह्वान कर रहे हैं। इन देशों को आशंका कि कोरोनावायरस चीन के वुहान की एक प्रयोगशाला से निकला जहां दिसंबर 2019 में पहला मामला सामने आया था।
रिपोर्ट के लेखकों ने कहा, ‘आरोपों और अनुमानों से कोई मदद नहीं मिलेगी क्योंकि इनसे वायरस के चमगादड़ों से इंसानों तक पहुंचने की जानकारी और वस्तुनिष्ठ आकलन की सुविधा नहीं मिलती। नए वायरस कहीं भी उभर सकते हैं। अगर हमें अगली महामारी को रोकने के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहना है तो इस बयानबाजी को कम करने और वैज्ञानिक जांच पर प्रकाश डालने की जरूरत है।’     

First Published : July 6, 2021 | 11:16 PM IST