बहरीन में रहने वाली निशा पंजाबी ने कोरोना के चलते सभी आशंकाओं से जूझते हुए लगभग एक साल बाद अपने परिवार से मिलने के लिए भारत आने का फैसला किया। वह इस सप्ताह अपने बैग में मास्क, सैनिटाइजर, फेस शील्ड, दस्ताने रखकर दिल्ली हवाईअड्डे पर उतरीं। हालांकि जिस टैक्सी को उन्होंने हवाईअड्डे से बुक किया था उसमें ड्राइवर तथा यात्री के बीच शील्ड नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब टैक्सी कंपनी के प्रबंधक ने बताया कि कोरोना भारत से चला गया है इसलिए हमने शील्ड हटा दी है।’
देश में बड़ी आबादी शील्ड का उपयोग नहीं कर रही है। पिछले नौ महीनों में शील्ड, फेस मास्क तथा शारीरिक दूरी ने अहम भूमिका निभाई है लेकिन जैसे जैसे देश में कोरोना का ग्राफ नीचे जा रहा है, लोग आम जिंदगी जी रहे हैं लेकिन सावधानियों का ध्यान नहीं रख रहे। हालांकि अगर यूरोपीय देशों में दोबारा लॉकडाउन लगाए जाने के अनुभव को देखा जाए तो आगामी त्योहारी सीजन तथा सर्दियों में भारत में भी कोरोना की दूसरी लहर देखी जा सकती है।
मिशिगन यूनिवर्सिटी के कोव-इंड-19 समूह ने भविष्यवाणी की है कि इस साल के अंत में त्योहारी सीजन को ध्यान में रखते हुए भारत में संक्रमण के लगभग एक करोड़ मामले सामने आएंगे। पहले ही, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में महामारी की दूसरी लहर देखी जा रही है। अमेरिका में आई संक्रमण की पहली लहर में दो बार ऊंचाई देखी गई और वहां एक और लहर देखी जा रही है।
महामारी वैज्ञानियों के अनुसार, भारत अभी भी पहली लहर में है और यहां महामारी के दूसरे शिखर को देखे जाने की संभावना है। हालांकि, यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि सितंबर के आंकड़े ऊपर जाएंगे या नहीं। ‘बीमारी घटने या कम संख्या में मामलों के बीच महीनों की अवधि के बाद भी तेजी आ सकती है। अशोका श्विविद्यालय में कंप्यूटेशनल बायोलॉजी एवं सैद्धांतिक भौतिकी के प्रोफेसर गौतम मेनन ने कहा, ‘संक्रमण के मामलों में कमी आने के बाद एक बार फिर सर्दियों में मामलों में तेजी आ सकती है। त्योहारी सीजन आ रहा है और अभी तक हमने महामारी पर नियंत्रण पाने की कोशिश में जो पाया है, उसे बचाए रखना बेहद जरूरी है।’
भारत में कोरोना संक्रमण के मामलों में सितंबर के महीने में गिरावट आनी शुरू हुई है। दैनिक संक्रमण मामलों की संख्या सितंबर के मध्य में करीब 97,000 के मुकाबले नवंबर में कम होकर 40,000 के करीब आ गई है। हालांकि देश के कई राज्य एक अलग कहानी बताते हैं। राष्ट्रीय आंकड़े कम होने के बावजूद अक्टूबर और नवंबर के बीच दिल्ली, केरल, पश्चिम बंगाल तथा मणिपुर में सक्रिय मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
मिशिगन विश्वविद्यालय में महामारी विज्ञान की प्रोफेसर भ्रमर मुखर्जी ने कहा, ‘सीरो सर्वेक्षण से मिले आंकड़ों के आधार पर कोरोना संक्रमण के वास्तविक मामले कुल ज्ञात 83 लाख मामलों से ज्यादा हैं। हालांकि ग्राफ में अगला शीर्ष सितंबर में देखे गए दैनिक एक लाख मामलों से कम का हो सकता है लेकिन इससे बचना बहुत कठिन होगा।’ हालांकि, अगर दूसरे देशों के अनुभव से सीखा जाए तो भारत को अपने स्वास्थ्य देखभाल संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की जरूरत होगी। मुखर्जी कहते हैं, ‘अमेरिका में अस्पतालों में भर्ती होने की दर बढ़ गई है। हम ऐसी स्थिति में नहीं आना चाहते जहां लोगों को सही देखभाल न मिल सके।’
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल की अध्यक्षता वाली एक समिति ने कहा था कि दिल्ली को सर्दियों के दौरान 15,000 नए दैनिक संक्रमणों के लिए तैयार रहना चाहिए। नवंबर में दिल्ली में दैनिक संक्रमण मामलों की संख्या अधिकतम है। राजधानी में शुक्रवार को 6,800 से अधिक मामले सामने आए। सरकार अपने अस्पतालों में अधिक वेंटिलेटर और आईसीयू बेड लाने के लिए प्रयास कर रही है
विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी अधिक संख्या में संक्रमण और सीरो सर्वे के आंकड़ों के बावजूद, भारत अभी भी सामाजिक स्तर पर प्रतिरक्षा हासिल करने के करीब नहीं है। यहां आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी संक्रमण के प्रति संवेदनशील है। 13 अरब से अधिक जनसंख्या के साथ, भारत में अभी भी 40-50 प्रतिशत संक्रमण होना बाकी है जो सामाजिक स्तर पर प्रतिरक्षा हासिल करने के जरूरी बताया गया है।
मुखर्जी कहती हैं, ‘भारत में अधिकांश बड़े शहर एक सीमा तक पहुंच गए हैं और वे सामाजिक स्तर पर प्रतिरक्षा विकिसत होने के करीब हैं। हालांकि छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में महामारी बढ़ रही है और मैं उम्मीद करता हूं कि दूसरी लहर में संक्रमण के मामले पहले की तुलना में कम होंगे।’
ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम संक्रमण की दूसरी लहर का अनुभव करने वाले देशों में शामिल हैं और उन्होंने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन का पालन किया।
