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जेन स्ट्रीट के बहाने SEBI ने खोला हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग के खिलाफ मोर्चा, नियम को और सख्त नियम बनाने की तैयारी

सेबी हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग फर्मों की रणनीतियों पर कड़ी नजर रखते हुए निगरानी तंत्र को मजबूत कर रहा है जिससे डेरिवेटिव और कैश बाजार में हेरफेर रोका जा सके।

Published by
खुशबू तिवारी   
समी मोडक   
Last Updated- July 06, 2025 | 11:26 PM IST

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और स्टॉक एक्सचेंज जेन स्ट्रीट मामले के बाद वैश्विक हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (एचएफटी) और क्वांट फर्मों द्वारा अपनाई जा रही ट्रेडिंग रणनीतियों की जांच का दायरा बढ़ा रहे हैं।

सूत्रों का कहना है कि जेन स्ट्रीट मामले में तत्काल व्यापक स्तर पर नियमों का उल्लंघन नहीं देखा गया है। मगर सिटाडेल सिक्योरिटीज, ऑप्टिवर, मिलेनियम और आईएमसी ट्रेडिंग जैसी एचएफटी और क्वांट फर्में भारत में तेजी से विस्तार कर रही हैं और ट्रेड अनुबंधों के हिसाब से भारत दुनिया का सबसे बड़ा डेरिवेटिव बाजार है, ऐसे में बाजार नियामक सेबी का लक्ष्य खास सतर्कता बरतनी है। 

जानकारों का कहना है कि सेबी और एक्सचेंज वायदा, विकल्प और कैश मार्केट में हेरफेर करने वाले ट्रेडिंग पैटर्न और कीमतों को प्रभावित करने के प्रयासों का पता लगाने के लिए निगरानी तंत्र बढ़ा रहे हैं। इससे इन फर्मों की एक्सचेंजों को अपनी रणनीतियों का खुलासा किए बिना बेहतर निगरानी संभव हो सकेगी।

जेन स्ट्रीट में अगस्त 2024 में संदिग्ध ट्रेडिंग का पता चला था जिसने मौजूदा निरीक्षण तंत्र में कुछ कमजोरियों को उजागर किया है। महीनों तक जमीनी स्तर पर काम करने के बाद सेबी ने पिछले हफ्ते अमेरिकी कंपनी के खिलाफ 4,840 करोड़ रुपये का जब्ती आदेश जारी किया। यह जटिल ट्रेडिंग रणनीतियों की निगरानी की कठिनाइयों को उजागर करता है। स्मार्टकर्म पर प्रकाशित बीट द स्ट्रीट के विश्लेषक निमिष माहेश्वरी ने कहा, ‘यह हाल के वर्षों में भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण निगरानी मामलों में से एक हो सकता है जो दिखाता है कि सबसे परिष्कृत वैश्विक फर्म भी कानून से परे नहीं हैं। सेबी का व्यापक फोरेंसिक कार्य एक-एक ट्रेड और हर सेकंड संभावित हेरफेर पर नजर रखता है।’ 

जेन स्ट्रीट की रणनीतियों में क​थित तौर पर ‘इंट्राडे इंडेक्स हेरफेर’ और ‘एक्सटेंडेड मार्किंग क्लोज’ शामिल थे। पहली रणनीति में फर्म ने कथित तौर पर कैश और वायदा बाजारों में एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक जैसे ज्यादा भार वाले शेयरों की आक्रामक खरीदारी के माध्यम से बैंक निफ्टी इंडेक्स की कीमतों में वृद्धि की और साथ ही निफ्टी बैंक ऑप्शंस में नरमी की पोजीशन ली। इससे जेन स्ट्रीट को कीमतों को कम करने के लिए कैश और वायदा पोजीशन को बेचकर मुनाफा कमाने में मदद मिली। दूसरी रणनीति में इंडेक्स शेयरों और वायदा में बड़े ट्रेड ने ऑप्शंस पोजीशन के पक्ष में इंडेक्स क्लोजिंग को प्रभावित किया।

सेबी की आंतरिक समिति ने उन्नत प्रणालियों की सहायता से ट्रेडिंग के इन प्रारूप की पहचान की और अगस्त 2024 की शुरुआत में जेन स्ट्रीट से प्रतिक्रिया मांगी थी। इस मामले ने सेबी को निफ्टी 50 और सेंसेक्स जैसे इंडेक्स में ‘किलिंग वोलेटिलिटी’ या ‘एक्सप्लोडिंग वोलेटिलिटी’ जैसी समान हेरफेर रणनीतियों की जांच करने के लिए प्रेरित किया है।

हेरफेर के जोखिमों को कम करने के लिए सेबी ने हाल के महीनों में डेरिवेटिव ट्रेडिंग के कड़े नियम जारी किए हैं। इनमें ओपन इंटरेस्ट के लिए नया ‘डेल्टा’ कैलकुलेशन, संशोधित मार्केट-वाइड पोजीशन लिमिट और निपटान जोखिमों को कम करने के लिए दिन में कम से कम चार बार इंट्राडे मार्केट-वाइड पोजीशन लिमिट की निगरानी करना शामिल है।  

आगे के सुधारों पर भी विचार किया जा रहा है, जिनमें पाक्षिक निपटान में बदलाव और वायदा एवं विकल्प सेगमेंट में सट्टा ट्रेडिंग को कम करने के उपाय शामिल हैं। 

First Published : July 6, 2025 | 10:42 PM IST