आज जारी फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) के लिए कृषि उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार मौजूदा खरीफ सत्र में चावल उत्पादन पिछली समान अवधि की तुलना में 6.05 फीसदी कम 10.49 करोड़ टन होने की आशंका है।
2021-22 खरीफ सत्र में रिकॉर्ड 11.17 करोड़ टन चावल का उत्पादन हुआ था। यदि संख्या स्थिर रहती है तो यह 2020-21 के फसल वर्ष के बाद खरीफ सीजन दो वर्षों में सबसे कम चावल उत्पादन होगा।
पूर्वी भारत के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में सूखे के कारण उत्पादन में कमी आने की आशंका है और साथ ही कुछ अन्य राज्यों में प्रतिस्पर्धी फसलों की ओर स्थानांतरित होने से भी ऐसा हुआ है। सूखे के कारण न केवल उत्पादन में कमी आने की आशंका है, बल्कि पहले से ही कीमतों पर असर पड़ना भी शुरू हो गया है। कमी की संभावना को लेकर कीमतें बढ़ने लगी हैं। चावल के मामले में एक मात्र बचत अनुग्रह केंद्रीय पुल स्टॉक है जो 1 सितंबर को करीब 2.44 करोड़ टन था, जबकि 1 अक्टूबर को बफर करीब 1.02 करोड़ टन रहना चाहिए।
इन स्टॉक में मिल मालिकों के पास पड़े 1.08 करोड़ टन बिना पिसाई वाले धान शामिल नहीं हैं।
केंद्र ने कुछ सप्ताह पहले तेज कदम उठाते हुए पहले चावल की कुछ किस्मों पर 20 फीसदी शुल्क लगाया और फिर टूटे चावलों के निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। वित्त वर्ष 23 में भारत ने कुल मिलाकर करीब 2.1-2.2 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था, जिसमें से करीब 1 करोड़ टन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसी बीच, चावल उत्पादन में गिरावट के परिणामस्वरूप 2022-23 की पहली अग्रिम अनुमान के अनुसार अब कुल खाद्यान्न उत्पादन भी पिछले खरीफ 15.60 करोड़ टन की तुलना में 3.9 फीसदी गिरकर 14.99 करोड़ टन होने की आशंका है।
खरीफ की अन्य फसलों में, दाल का उत्पादन पिछले साल की तरह ही 83 लाख टन होने का अनुमान है। तिलहन का उत्पादन 2.35 करोड़ टन होने का अनुमान है जो पिछले साल के 2.38 करोड़ टन से 1.29 फीसदी कम है। गन्ना का उत्पादन 46.50 करोड़ टन होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष के 43.18 करोड़ टन से 7.60 फीसदी अधिक है। कपास का उत्पादन 3.49 करोड़ बेल्स (1 बेल बराबर 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है जो पिछले खरीफ सत्र 3.12 करोड़ टन से 9.58 फीसदी अधिक है।
पटसन का उत्पादन 1.09 करोड़ गांठ होने का अनुमान है जो पिछले साल के 1.03 करोड़ गांठ उत्पादन से 2.13 फीसदी कम है।