भारतीय रेल ने सितंबर, 2021 तक 6 महीने में आयातित कोयले की ढुलाई से 1,000 करोड़ रुपये के करीब अतिरिक्त कमाई की है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक आयातित कोयले से कुल मिलाकर कमाई 4,598.88 करोड़ रुपये रही है, जो सितंबर, 2020 तक समान अवधि में 3,682.32 करोड़ रुपये थी। यह कमाई उस अवधि के दौरान हुई है, जब देश में कोयले की कमी थी और बिजली संयंत्र अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
वित्त वर्ष के दौरान आयातित कोयले से सबसे ज्यादा कमाई अप्रैल, 2021 में 840.28 करोड़ रुपये हुई, जो अप्रैल, 2020 के 445.69 करोड़ रुपये की तुलना में ज्यादा है। इस 6 महीने के दौरान कुल 458.7 लाख टन कोयले की ढुलाई हुई है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान हुई 372.4 लाख टन ढुलाई की तुलना में ज्यादा है।
इसमें और बढ़ोतरी की उम्मीद है क्योंकि केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने ताप बिजली संयंत्रों को निर्देश दिया है कि वे कम से कम 10 प्रतिशत मिश्रण के लिए कोयले का आयात करें, जिससे घरेलू कोयले की आपूर्ति में कमी की भरपाई हो सके। पहले केंद्र ने घरेलू कोयले के इस्तेमाल के दिशानिर्देश दिए थे, जिससे यह उल्टा रुख है।
मंगलवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है, ‘घरेलू कोयले से चलने वाले ताप बिजली संयंत्र 10 प्रतिशत तक आयातित कोयले का मिश्रण घरेलू कोयले में करेंगे, जैसा कि व्यावहारिक हो, जिससे देश में बढ़ी बिजली की मांग पूरी की जा सके। बिजली उत्पादन कंपनियां मिश्रण की जरूरतों को पूरी करने के लिए कोयला आयात में तेजी लाएं।’
समीक्षावधि के दौरान रेल से कोयले की कुल ढुलाई भी बढ़कर 2,570.9 लाख टन हो गई है, जो पिछले साल के समान महीनों में 1,970.3 लाख टन थी। इसी के मुताबिक कोयले की ढुलाई से कमाई 53 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 25,705.90 करोड़ रुपये हो गई है, जो पिछले साल की समान अवधि में 16,760.21 करोड़ रुपये थी। इससे रेलवे का परिचालन मुनाफा सुधर सकता है, जिससे रेलवे का वित्तीय प्रदर्शन मापा जाता है।
बहरहाल कोयले की ज्यादा ढुलाई के बावजूद ताप बिजली संयंत्र कोयले की कम उपलब्धता की सूचना दे रहे हैं। बिजली मंत्रालय की तकनीकी शाखा केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के ईंधन प्रबंधन विभाग के मुताबिक अगस्त-सितंबर अवधि के दौरान कोयला आधारित उत्पादन की हिस्सेदारी 2019 के 62 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 66 प्रतिशत हो गई है।
