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अफवाह फैलाने पर दंडात्मक कार्रवाई

Last Updated- December 12, 2022 | 9:16 AM IST

टीकाकरण शुरू होने के 10 दिन के भीतर भारत जहां 20 लाख स्वास्थ्य कर्मियों का टीकाकरण करने के करीब पहुंच चुका है, वहीं राज्यों से कहा जा रहा है कि वे टीकाकरण को लेकर अफवाह फैलाने वाले लोगों या संगठनों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करें।
गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य ऐसी समुचित प्रणाली अपनाएं ताकि टीकाकरण को लेकर गलत जानकारी फैलाने वालों को चिह्नित किया जा सके। पत्र में कहा गया है कि कोविड-19 टीकों को लेकर किसी भी गलत जानकारी का समुचित प्रतिवाद किया जाए और संबंधित अधिकारी इस दिशा में उचित कदम उठाएं। यह भी कहा गया है कि इस विषय में तत्काल तथ्यात्मक संदेश प्रसारित किए जाएं।
उन्होंने पत्र में लिखा, ‘यदि कोई भी व्यक्ति या संस्थान ऐसी गतिविधियों में संलग्न पाया जाता है तो उसके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और भारतीय दंड संहिता 1860 के संबंधित प्रावधानों के अनुरूप दंडात्मक कार्रवाई की जाए।’
गृह सचिव ने राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत दोनों टीकों सीरम इंस्टीट्यूट के कोविशील्ड और भारत बायोटेक के कोवैक्सीन की सुरक्षा और प्रतिरोधक क्षमता पर भी जोर देते हुए लिखा, ‘ऐसी जानकारी सामने आई है कि सोशल मीडिया तथा अन्य प्रसार माध्यमों में दोनों टीकों की सुरक्षा और उनके प्रभाव के बारे में गलत और भ्रामक अफवाह फैलाई जा रही है।’
उन्होंने कहा कि निहित स्वार्थ के चलते यूं भय का माहौल बनाने से जनता के बीच बड़े पैमाने पर अवांछित संदेह पैदा हो सकता है।
सरकार ने गत 16 जनवरी को देश भर में दोनों टीकों की शुरुआत की थी। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार सोमवार को शाम सात बजकर 10 मिनट तक देश भर के 7,171 केंद्रों पर 3,34,679 लोगों को टीके लगाए गए। टीकाकरण के बाद 348 लोगों में विपरीत प्रभाव देखे गए लेकिन किसी के गंभीर बीमार होने की खबर नहीं है।
कर्नाटक में सबसे ज्यादा 230,000 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगा है। ओडिशा में 177,000 से अधिक लोगों को टीका लगाया गया। आंध्र प्रदेश 155,000 से अधिक लोगों के टीकाकरण के साथ तीसरे स्थान पर है।  हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में से प्रत्येक राज्य में एक लाख से अधिक लोगों को टीके लग चुके हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीकाकरण से जुड़ी अफवाहों के प्रतिवाद के लिए बॉलीवुड के एक चर्चित गीत के साथ एक अभियान भी शुरू किया है जिसके बोल हैं…कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना।

दिल्ली समूह प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने की ओर बढ़ रही
राष्ट्रीय राजधानी में पांचवें दौर के सीरो-प्रीवलेंस सर्वेक्षण के नतीजों से संकेत मिला है कि हो सकता है कि दिल्ली की आबादी कोरोनावायरस संक्रमण के खिलाफ समूह प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने की ओर बढ़ रही हो। यह जानकारी सूत्रों ने सोमवार को दी। सूत्रों ने कहा कि सर्वेक्षण में पाया गया है कि एक जिले में एकत्रित नमूनों में से 50-60 प्रतिशत लोगों में कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हुई हैं। अधिकारियों ने कहा कि सर्वेक्षण कुछ दिनों पहले समाप्त हुआ। इसके लिए शहर भर के विभिन्न जिलों के 25,000 से अधिक लोगों के नमूने एकत्रित किए गए। दिल्ली की आबादी दो करोड़ से अधिक है जो कि 11 जिलों में फैली हुई है। एक सूत्र ने जिले का नाम बताये बिना कहा, ‘एक जिले में, सीरो-प्रीवलेंस दर 50-60 प्रतिशत के बीच है, जिससे संकेत मिलता है कि बड़ी संख्या में लोगों में एंटीबॉडी विकसित हुई हैं, इसलिए हम कह सकते हैं कि शहर समूह प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त करने की दिशा में बढ़ रहा है।’ विशेषज्ञों का कहना है कि समूह प्रतिरोधक क्षमता एक जनसंख्या तब विकसित होना कहा जाता है जब एक सीरो-प्रीवलेंस सर्वेक्षण में 50-60 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पाई जाती है। समूह प्रतिरोधक क्षमता उसे कहते हैं जब एक समूह के लोगों के वायरस से संक्रमित होने के बाद कई लोगों में इसकी प्रतिक्रिया में एंटीबॉडी बनने की वजह से इसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। भाषा

First Published - January 25, 2021 | 11:15 PM IST

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