भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की न केवल पुरानी बल्कि नई शाखाओं में भी पिछले वर्षों की तुलना में नौकरियों की पेशकश पर कोरोनावायरस महामारी का काफी कम असर देखा जा रहा है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने आईआईटी की जिन नई शाखाओं से बात की वहां पिछले साल की तुलना में आखिरी प्लेसमेंट प्रक्रिया के पहले चरण की शुरुआत से लेकर अब तक ज्यादा तादाद में नौकरियों की पेशकश की गई है। कुल 23 आईआईटी में से सात को पुराने आईआईटी के रूप में जाना जाता है। इसके बाद लगभग एक दशक पहले बने 9 आईआईटी को दूसरी पीढ़ी का आईआईटी माना जाता है और साल 2015-16 के दौरान या उसके बाद स्थापित तीसरी पीढ़ी के 7 आईआईटी हैं।
मिसाल के तौर पर आईआईटी पटना ने पिछले साल पूरे प्लेसमेंट सीजन के दौरान 106 कंपनियों ने 200 छात्रों को नौकरियों की पेशकश की। इस साल भी इसने 250 छात्रों के बैच के करीब 50 फीसदी छात्रों का प्लेसमेंट कराया है। आईआईटी पटना में बीटेक के छात्र को डीई शॉ की तरफ से सालाना 47 लाख रुपये की पेशकश की गई है जो घरेलू स्तर पर सबसे ज्यादा वेतन की पेशकश है। आईआईटी पटना में एक प्रशिक्षण और प्लेसमेंट सेल के अधिकारी ने कहा, ‘इसके अलावा, कंप्यूटर विज्ञान विभाग में 70 फीसदी से अधिक छात्रों का प्लेसमेंट पहले ही हो चुका है। वेतन पैकेज के लिहाज से पिछले साल के मुकाबले इस साल 17 छात्रों को 30 लाख रुपये से ऊपर के पैकेज मिले हैं। महामारी का प्रमुख क्षेत्रों की भर्तियों पर प्रभाव पड़ा है लेकिन हमें भरोसा है कि जनवरी 2021 में इसमें तेजी आ सकती है और आईटी तथा सलाहकार नौकरियों से घाटे की भरपाई होती है।’
इसी तरह आईआईटी रोपड़ में पिछले आखिरी प्लेसमेंट सीजन में फरवरी के अंत तक कुल 115 छात्रों में से 90 का प्लेसमेंट हुआ जबकि इस साल दूसरी पीढ़ी के आईआईटी ने पहले ही 215 छात्रों के बैच के 100 छात्रों का प्लेसमेंट किया है जो पिछले साल से लगभग दोगुना है। आईआईटी रोपड़ के निदेशक एस के दास ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘महामारी की वजह से सितंबर के मुकाबले हम इस साल अक्टूबर-नवंबर में प्रक्रिया शुरू कर सकें। इस साल हमारे बैच के 50 फीसदी छात्रों का प्लेसमेंट कर दिया है। महामारी की वजह से प्लेसमेंट न होने की आशंका के बीच नौकरियों की पेशकश अच्छी रही है। दूसरे चरण में प्रमुख क्षेत्र की कंपनियां आएंगी जिसकी शुरुआत जनवरी से हो रही है।’
इसका मतलब यह नहीं है कि महामारी का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। पिछले साल की तुलना में, विशेष रूप से अमेरिका और यूरोप से बुनियादी ढांचा विनिर्माण कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की भागीदारी, आखिरी प्लेसमेंट प्रक्रिया के पहले चरण में कम रही है। इसके अलावा, कुछ पुराने आईआईटी में भी पहले चरण में नौकरियों की पेशकश पर कुछ असर देखने को मिला है हालांकि अब भी प्रक्रिया चल रही है और प्लेसमेंट की स्थिति बेहतर होने की उम्मीद है।
इस साल महामारी की वजह से आई मुश्किलों के बावजूद आईआईटी गुवाहाटी में प्लेसमेंट की जारी प्रक्रिया के पहले आठ दिनों में 604 छात्रों की प्लेसमेंट हुई है जो 2019-20 के पहले चरण में 613 छात्रों के प्लेसमेंट से थोड़ा ही कम है लेकिन पहले वर्ष 2018-19 में 563 छात्रों के प्लेसमेंट के मुकाबले थोड़ा अधिक है।
आईआईटी गुवाहाटी के सेंटर फॉर करियर डेवलपमेंट के प्रमुख अभिषेक कुमार ने कहा, ‘महामारी के कारण हम सॉफ्टवेयर, क्लाउड कंप्यूटिंग, आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल, डेटा विज्ञान, बैंकिंग और वित्त क्षेत्र की कंपनियों की तरफ से अधिक भागीदारी देख रहे हैं। साथ ही आईटी-सॉफ्टवेयर, वित्त, स्वास्थ्य सेवा और डेटा विज्ञान क्षेत्र ने भी इस साल ज्यादा हिस्सा लिया है। हालांकि, हमने कोर-इंजीनियरिंग क्षेत्र में थोड़ी कमी देखी।’ वहीं दूसरी तरफ आईआईटी खडग़पुर को प्लेसमेंट के पहले चरण में 1000 से ज्यादा नौकरियों की पेशकश की गई और औसतन वेतन 19 लाख रुपये सालाना रहा। वहीं आईआईटी मद्रास में पहले भी 2019-20 के 735 छात्रों के प्लेसमेंट के मुकाबले 616 छात्रों का प्लेसमेंट हुआ।
