मोदी ने लद्दाख से साधा निशाना

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 5:20 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह अचानक लद्दाख पहुंचकर सबको चौंका दिया। मोदी ने लद्दाख में सेना को संबोधित किया और उनके पराक्रम की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने चीन को कठोर संदेश दिया और कहा कि विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘पूरे विश्व ने इसके खिलाफ मन बना लिया है। भारतीय सेना ने शत्रुओं को जो पराक्रम और प्रचंडता दिखाई, उससे दुनिया को भारत की ताकत का संदेश मिल गया।’
प्रधानमंत्री के साथ प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल विपिन रावत और थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे भी थे। मोदी ने भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में पिछले दिनों हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने सैनिकों को संबोधित करते हुए लद्दाख क्षेत्र को 130 करोड़ भारतीयों के मान-सम्मान का प्रतीक करार दिया। लद्दाख के कई क्षेत्रों में पिछले सात सप्ताहों से भारतीय और चीनी सेना के बीच सीमा को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने निमू (लद्दाख) का औचक दौरा किया।
प्रधानमंत्री के लद्दाख दौरे के बाद चीन ने अपने बयान में कहा कि किसी भी पक्ष को सीमा के हालात को जटिल नहीं बनाना चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने संवाददाताओं से कहा कि चीन और भारत सैन्य तथा राजनयिक माध्यमों से एक दूसरे के साथ संपर्क में हैं। किसी भी पक्ष को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जो सीमा पर हालात को जटिल बना दे।
प्रधानमंत्री ने वहां भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात और बाद में थल सेना, वायु सेना और आईटीबीपी के जवानों का मनोबल बढ़ाते हुए उन्हें संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है और यह युग विकासवाद का है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीती शताब्दियों में विस्तारवाद ने ही मानवता का सबसे ज्यादा अहित किया और मानवता के विनाश का प्रयास किया। उन्होंने कहा, ‘विस्तारवाद की जिद किसी पर सवार हो जाती है तो उसने हमेशा विश्व शांति के सामने खतरा पैदा किया है। यह न भूलें इतिहास गवाह है। ऐसी ताकतें मिट गई हैं या मुडऩे को मजबूर हो गई है।’
मोदी ने कहा कि विश्व का हमेशा यही अनुभव रहा है और इसी अनुभव के आधार पर अब पूरी दुनिया ने फिर विस्तारवाद के खिलाफ मन बना लिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत शांति और मित्रता के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन शांति के लिए इस प्रतिबद्धता को भारत की कमजोरी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने अपने संबोधन में यह भी कहा कि कमजोर कभी शांति की पहल नहीं कर सकता।

First Published : July 3, 2020 | 10:22 PM IST