वित्त पर बनी संसद की स्थाई समिति ने 7वीं आर्थिक जनगणना के आंकड़ों को जारी करने में देरी को लेकर सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (मोस्पी) की खिंचाई की है। इसमें आर्थिक गतिविधियों का भौगोलिक प्रसार, मालिकाना का तरीका और प्रतिष्ठानों में लगे लोगों के आंकड़े होते हैं।
7वीं आर्थिक जनगणना 2019 में शुरू की गई थी। कोविड-19 महामारी के व्यवधानों के कारण पश्चिम बंगाल और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के कुछ इलाकों को छोड़कर सर्वेक्षण को पूरा करने में 3 साल से अधिक का समय लगा। आर्थिक जनगणना सरकार के लिए नीतियां और योजना बनाने के लिए महत्त्वपूर्ण आंकड़े प्रदान करती है। स्थाई समिति ने कहा कि अनुचित देरी के कारण आंकड़े महत्त्वहीन साबित हो सकते हैं।
मार्च में संसद में पेश अपनी 44वीं रिपोर्ट में समिति ने सिफारिश की थी कि मोस्पी को बगैर देरी किए आर्थिक जनगणना के आंकड़े जारी करना चाहिए, क्योंकि अब और देरी होने से आंकड़े निष्फल हो सकते हैं। बहरहाल समिति ने जून में प्रस्तुत कार्रवाई रिपोर्ट में कहा कि मोस्पी के मुताबिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से 7वीं आर्थिक जनगणना के आंकड़ों को मंजूरी नहीं मिली है। इसमें कहा गया है कि 7वीं ईसी के अनंतिम परिणामों को राज्य स्तर की समन्वय समिति से मंजूरी अनिवार्य होती है।