न्यायालय के फैसले से समर्थन के बाद जीएसटी प्राधिकारी अब वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान न करने पर लगने वाले ब्याज की वसूली बगैर नोटिस के कर सकते हैं।
भारती एयरटेल के एक हाल के मामले में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पहले के एक स्थगनादेश को वापस ले लिया है, जिसके तहत मिलान न होने पर कर भुगतान की देरी से 5.77 करोड़ रुपये विलंब शुल्क की सीधी वसूली रोकी गई थी। सीधी वसूली का मतलब यह है कि कर अधिकारियों को नोटिस भेजने की जरूरत नहीं होगी। अधिकारी कई तरीकों जैसे इनपुट टैक्स क्रेडिट में कटौती या वस्तुओं को जब्त करके उनकी बिक्री के माध्यम से हो सकती है।
एक अधिकारी ने कहा कि भारती डिजिटल नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड, जिसका विलय अब भारती एयरटेल में हो गया है, की बिक्री के रिटर्न जीएसटीआर-1 और समरी इनपुट आउटपुट रिटर्न जीएसटीआर-3बी में वित्त वर्ष 2017-18 में 29.88 करोड़ रुपये का अंतर पाया गया। ऑनलाइन रिकॉर्डों की जांच के बाद भारती एयरटेल ने कर का भुगतान किया और इसे दिसंबर 2018 के जीएसटीआर-3बी में दिखाया, जो जनवरी 2019 में दाखिल किया गया था।
कर के भुगतान में 392 दिन की देरी की गई, इसलिए कर अधिकारियों ने 5.77 करोड़ रुपये ब्याज वसूली की मांग की और कंपनी को समन जारी किया था। कंपनी ने इस कार्रवाई को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी और न्यायालय ने इस प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी।
उसके बाद की सुनवाई में न्यायालय ने स्थगनादेश वापस ले लिया, जिससे 16 दिसंबर के आदेश के मुताबिक ब्याज वसूली हो सके। एयरटेल ने यह राशि कर अधिकारियों के पास 17 जनवरी को जमा कर दिया।
अधिकारी ने कहा कि एयरटेल ने राशि जमा कर दी, लेकिन इस फैसले के बाद अब जीएसटी प्र्राधिकारियों को सीधे ब्याज वसूलने की अनुमति मिल गई है, अगर इनवाइस में मिलान न होने पर समय से इसका भुगतान नहीं किया जाता है।
केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम (सीजीएसटी) की धारा 79 अधिकारियों को यह शक्ति देता है कि वे उपरोक्त उल्लिखित तरीकों से भुगतान न किया गया जीएसटी सीधे वसूल लें। जीएसटी कानून में कानूनी प्रावधान है, ऐसे में नोटिस के बगैर ब्याज वसूली का अधिकार बहाल हो गया है। ऐसे में अधिकारी मिलान न होने वाले कुछ मामलों में ऐसा करने पर विचार कर रहे हैं।