मेरे साथ गरीबों का भी सम्मानःमुर्मू

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 5:18 PM IST

द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15वीं राष्ट्रपति के रूप में सोमवार को शपथ लेने के बाद सबके विकास की बात करते हुए सबके कर्तव्य की बात भी की जो उनकी जिंदगी के मार्गदर्शन का आधार रहा है। उन्होंने अपना भाषण हिंदी में दिया। मुर्मू जब देश को कर्तव्य की याद दिला रही थीं उसी दिन लोकसभा में बार-बार अवरोध बढ़ाने की वजह से कांग्रेस के चार सांसदों को निलंबित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि उनका मुख्य जोर शिक्षा पर होगा, खासतौर पर लड़कियों की शिक्षा पर। वह अन्य लोगों की तुलना में शिक्षा के महत्त्व को इस वजह से भी समझती हैं क्योंकि उन्होंने ओडिशा के एक छोटे आदिवासी  इलाके से अपनी जिंदगी की शुरुआत की थी।
उन्होंने बतौर राष्ट्रपति अपने पहले भाषण में कहा, ‘ मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूं, वहां मेरे लिए प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था। लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी। मैं जनजातीय समाज से हूं, और वार्ड पार्षद से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है। यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है, यह हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है ।’
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।’
उन्होंने महात्मा गांधी को औपचारिक श्रद्धांजलि दी। उन्होंने देश के लोकतंत्र और आजादी में योगदान देने वाले नेताओं का जिक्र करते हुए उन्होंने नेहरू, आंबेडकर और सरदार पटेल के साथ ही भगत सिंह का भी जिक्र किया। हालांकि उन्होंने सावरकर और भाजपा की अन्य अहम शख्सियतों का जिक्र नहीं किया। उन्होंने अटल बिहारी बाजपेयी को भी श्रद्धांजलि दी।
स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं में नए नाम जोड़े गए जिन्हें आमतौर पर याद नहीं किया जाता है जैसे कि रानी लक्ष्मीबाई, रानी वेलु नाचियार, रानी गायदिलियु और रानी चेन्नम्मा। संथाल क्रांति, पैका क्रांति, कोल क्रांति, भीम क्रांति का जिक्र उन्होंने किया। उन्होंने बिरसा मुंडा को भी श्रद्धांजलि दी।
आदिवासी समुदाय से आने वाले प्रसिद्ध कवि भीम भोई को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, ‘मो जीबन पाछे नरके पड़ी थाउ, जगतो उद्धार हेउ’, जिसका मतलब है कि दुनिया के कल्याण के लिए काम करना किसी के अपने हितों से कहीं अधिक है।
अपने भाषण में उन्होंने सरकार की योजनाओं पर मुहर लगाई कि किस रफ्तार से उसने कोविड-19 पर जीत पाई है और भारत दुनिया का नेतृत्व करने के लिए किस तरह तैयार है (भारत को जी20 की अध्यक्षता मिल रही है)।  उनके भाषण में इस बात का भी जिक्र था कि भारत ने कैसे डिजिटल क्रांति, ‘वोकल फॉर लोकल’ कार्यक्रम, ‘औद्योगिक क्रांति फोर प्वाइंट 0’ को हासिल किया। राष्ट्रपति ने कहा कि टिकाऊ और निरंतर विकास अहम है। उन्होंने कहा, ‘मैं उस आदिवासी परंपरा में पैदा हुई, जो हजारों सालों से प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाते हुए रह रहा है। मैंने अपने जीवन में वनों और जलाशयों के महत्त्व को महसूस किया है। हम प्रकृति से आवश्यक संसाधन लेते हैं और उसी सम्मान भाव से प्रकृति की सेवा करते हैं।’
शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन के दौरान इस बात का उल्लेख किया कि ओडिशा के श्री अरविंद इंटीग्रल स्कूल में एक शिक्षिका के तौर पर उन्हें कार्य करने का अवसर मिला था। उन्होंने कहा, ‘कुछ दिनों बाद, हम श्री अरविंद की 150वीं जयंती मनाएंगे। शिक्षा पर श्री अरविंद के विचारों ने मुझे निरंतर प्रेरित किया है। अरविंदो ने कहा था कि शिक्षा कुछ और नहीं बल्कि प्रतिभाओं को निखारना है।’
 राष्ट्रपति ने कहा कि वह शैक्षणिक संस्थानों से सक्रिय रूप से जुड़ी रहीं, जनप्रतिनिधि के रूप में विभिन्न पदों पर सेवा दी और फिर राज्यपाल के रूप में भी उनका शिक्षण संस्थानों के साथ सक्रिय जुड़ाव रहा। मुर्मू ने कहा, ‘मैंने देश के युवाओं के उत्साह और आत्मबल को करीब से देखा है। हम सभी के श्रद्धेय अटल जी कहा करते थे कि देश के युवा जब आगे बढ़ते हैं तो वे सिर्फ अपना ही भाग्य नहीं बनाते बल्कि देश का भी भाग्य बनाते हैं। आज हम इसे सच होते देख रहे हैं।’ ओडिशा के मयूरभंज जिले से ताल्लुक रखने वाली मुर्मू ने भुवनेश्वर के रमादेवी वुमंस कॉलेज से कला (आर्ट्स) में स्नातक की उपाधि हासिल की और ओडिशा सरकार में सिंचाई एवं बिजली विभाग में कनिष्ठ सहायक के पद पर सेवा दी। उन्होंने रायरंगपुर में श्री अरविंद इंटीग्रल स्कूल में मानद सहायक शिक्षिका के तौर पर भी सेवा दी।

गर्व के पल
मुर्मू के शपथ ग्रहण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत के लिए, खासकर गरीबों, हाशिये के लोगों और दलितों के लिए ‘ऐतिहासिक क्षण’ बताया।  उनके सफल कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं देते हुए मोदी ने कहा कि जब उन्होंने शपथ ली तो पूरा देश गर्व से देख रहा था। मोदी ने कहा, ‘श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने भारत के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली तो पूरे देश ने गर्व के साथ देखा। उनका राष्ट्रपति पद ग्रहण करना भारत के लिए महत्त्वपूर्ण क्षण है, खासकर गरीबों, हाशिये के लोगों और वंचितों के लिए। मैं उन्हें एक सार्थक राष्ट्रपति कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं देता हूं।’ मुर्मू को बधाई देते हुए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि सर्वोच्च पद पर उनका चुनाव भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता और ताकत का प्रमाण है।
मुर्मू को बधाई देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उम्मीद जताई कि उनका कार्यकाल भारत के गौरव को नयी ऊंचाइयों पर ले जाएगा। उन्होंने ट्वीट किया, ‘भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने पर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को बहुत बहुत बधाई। मुझे विश्वास है कि आपका कार्यकाल देश के गौरव को नयी ऊंचाइयों पर ले जायेगा। आज का यह ऐतिहासिक दिन लोकतांत्रिक मूल्यों पर चलकर हर वर्ग के सशक्तिकरण और अंत्योदय का एक अप्रतिम उदाहरण है।’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि ओडिशा के एक सुदूर गांव में एक आदिवासी परिवार में जन्मी एक महिला को भारत के राष्ट्रपति के पद पर पहुंचते हुए देखना भारत के इतिहास में ‘गर्व का क्षण’ है। चिदंबरम ने ट्विटर पर कहा, ‘माननीय मैडम द्रौपदी मुर्मू को बधाई और शुभकामनाएं।’

First Published : July 26, 2022 | 1:06 AM IST