कोविड महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच ऑक्सीजन सिलिंडरों की बढ़ती मांग पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने मेडिकल ऑक्सीजन की आवाजाही पर किसी भी तरह की बंदिश लगाने से आज राज्यों को रोक दिया। साथ ही, भारत ने ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए चार विदेशी कंपनियों को ठेके भी जारी किए।
इसके अलावा ऑक्सीजन के खाली टैंकरों को प्रसंस्करण संयंत्र तक पहुंचाने में भारतीय वायुसेना के विमानों को भी लगाने का फैसला लिया गया है। वायुसेना का मालवाहक विमान सी-17 शुक्रवार को दिल्ली से पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर एक खाली टैंकर के साथ जाएगा। इस तरह की दूसरी उड़ान हैदराबाद और ओडिशा के अंगुल के बीच होगी। हालांकि खाली टैंकर ऑक्सीजन से भर जाने के बाद सड़क मार्ग से ही वापस लाए जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑक्सीजन सिलिंडरों की हो रही किल्लत के मुद्दे पर आज एक उच्च-स्तरीय बैठक की। कोविड मरीजों को समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने से मरने की खबरें सामने आ रही हैं। मैक्स हॉस्पिटल जैसे निजी अस्पताल समूह ने इस मामले में अदालत का भी रुख किया है। इस बारे में एक अधिकारी ने कहा, ‘आज के समय में ऑक्सीजन का घरेलू उत्पादन कम नहीं है लेकिन किसी भी तरह की आकस्मिकता से बचने के लिए हम आयात करने वाले हैं।’ भारत ने 50,000 टन ऑक्सीजन की खरीद के लिए एक वैश्विक निविदा जारी की है। भौगोलिक रूप से करीब होने से शुरुआती आयात सिंगापुर, चीन एवं खाड़ी देशों से होने की संभावना है। हालांकि इसके आयात की राह में फौरी चिंता खाली क्रायोजेनिक टैंकरों की उपलब्धता को लेकर है। माइनस 183 डिग्री तापमान वाले टैंकरों को जहाज में भरकर भारत भेजा जाएगा। इस तरह के टैंकरों का इंतजाम करने का दायित्व विदेश मंत्रालय को सौंपा गया है।
बैठक में प्रधानमंत्री को बताया गया कि राज्यों के साथ मिलकर एक व्यापक कवायद की जा रही है ताकि ऑक्सीजन की मांग पता की जा सके और उसी के हिसाब से आपूर्ति भी की जा सके। बैठक के बाद जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि तरल मेडिकल ऑक्सीजन की 20 राज्यों से आने वाली दैनिक मांग 6,785 टन की है और सरकार ने 6,822 टन का आवंटन किया हुआ है।
पिछले कुछ दिनों में मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता 3,300 टन प्रतिदिन तक बढ़ी है। निजी एवं सार्वजनिक स्टील संयंत्रों, ऑक्सीजन विनिर्माताओं एवं अन्य उद्योगों के भी ऑक्सीजन उत्पादन में सक्रिय हो जाने से उपलब्धता बढ़ गई है। गैर-जरूरी उद्योगों को ऑक्सीजन आपूर्ति पर रोक लगाने से भी मदद मिली है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति निर्बाध रहनी चाहिए और इसमें पडऩे वाले किसी भी गतिरोध के लिए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार माना जाए। केंद्रीय गृह सचिव ए के भल्ला ने अपने आदेश में कहा है कि राज्यों के बीच मेडिकल ऑक्सीजन की आवाजाही पर कोई बंदिश नहीं होगी और परिवहन अधिकारी ऑक्सीजन लेकर जाने वाले वाहनों का मुक्त आवागमन सुनिश्चित करेंगे।