‘बच्चों की कोविड प्रतिरक्षा पर आंकड़े दें’

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 7:07 PM IST

देश में टीका क्षेत्र के लिए थिंक टैंक कहे जाने वाले टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) सहित सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न संस्थाओं से कहा है कि वे कोविड-19 विषाणु के विरुद्घ युवा बच्चों में मौजूद प्रतिरक्षा पर अपने विश्लेषण के आंकड़े को प्रस्तुत करें। एनटीएजीआई इस मसले पर अगले हफ्ते एक अहम बैठक करने जा रहा है।
एनटीएजीआई के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, ‘हम अगले हफ्ते होने वाली बैठक में बच्चों के टीकाकरण संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने और फिलहाल भारत में उपलब्ध बच्चों के तीन टीकों पर डेटा की समीक्षा की योजना बना रहे हैं। हालांकि, उससे पहले हमने संस्थाओं से कहा है कि वे ओमिक्रोन की वजह से आई तीसरी लहर में व्यापक तौर पर इससे प्रभावित हुए युवा बच्चों की प्रतिरक्षा पर अपने विश्लेषण को प्रस्तुत करें।’    
भारत में सक्रमणों की तीसरी लहर के दौरान काफी बच्चे इसके संपर्क में आए और इससे संक्रमित हुए थे क्योंकि तब इस आयु वर्ग के लिए कोई टीका कवरेज मौजूद नहीं था। अनुमान है कि व्यापक तौर पर बच्चे पहले ही अपने वयस्कों के माध्यम से विषाणु के संपर्क में आ चुके हैं। इसलिए, राष्ट्रीय टीकाकरण मिशन का विस्तार करने से पहले टीका नीति का थिंक टैंक प्रतिरक्षा के स्तर को समझना चाहता है। वह इसे जीवकोषीय स्तर (स्मृति कोशिकाओं) के साथ साथ भारतीय बच्चों में मौजूद रोग प्रतिकारक के भी माध्यम से जानना चाहता है।
सूत्र ने कहा, ‘स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ सहित विभिन्न संस्थाओं ने पहले ही युवा बच्चों में संक्रमण और प्रतिरक्षा के स्तर को समझने के लिए अध्ययन किए हैं। अब हम उन विश्लेषणों को देखना चाहते हैं।’ सूत्र ने कहा कि अगली बैठक में इस बात पर भी जोर दिया जाएगा कि समग्र भारतीय आबादी में उच्च टीकाकरण की दर को और अधिक कैसे बढ़ाया जा सकता है।  
बच्चों पर तीसरी लहर को समझने के लिए राज्य भी स्वतंत्र रूप से सीरो सर्वेक्षण करा रहे हैं।
उदाहरण के लिए कर्नाटक ने कोविड-19 सीरो सर्वेक्षण के तीसरे चरण के लिए जमीनी कार्य की शुरुआत कर दी है। इस बार के सीरो सर्वेक्षण में मई के पहले हफ्ते में टीकाकरण से बाहर रहे 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शामिल किया जाएगा। राज्य की तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) ने सिफारिश की थी कि अप्रैल में राज्य स्तरीय सीरो सर्वेक्षण के तीसरे चरण की शुरुआत की जाए।  
पहले के सीरो सर्वेक्षणों में दिखाया गया है कि बच्चों की एक बड़ी आबादी में पहले से ही प्रतिकारक मौजूद हैं। पिंपरी चिचवड़ नगर निगम (पीसीएमसी) ने पिछले वर्ष 10,000 से अधिक नागरिकों पर अध्ययन किया था जिसमें पता चला था कि 6 से 18 वर्ष के करीब 70 फीसदी बच्चों में कोविड-19 के लिए प्रतिकारक मौजूद हैं। इसी तरह का एक अध्ययन पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ ने किया था जिससे पता चला था कि पिछले वर्ष सितंबर में 2,700 बच्चों से लिए गए नमूनों में से 71 फीसदी में प्रतिकारक मौजूद है।
इसके बाद केविड-19 के ओमिक्रोन स्वरूप की वजह से जनवरी 2022 में तीसरी लहर आई थी और विशेषज्ञों ने इंगित किया था कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अब पहले ही विषाणु के संपर्क में आ चुका है।    
अप्रैल के अंतिम हफ्ते में भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने 5 से 12 वर्ष के बच्चों के लिए कोर्बेवैक्स (बायोलॉजिकल ई) और कोवैक्सीन (भारत बायोटेक) के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी थी जबकि जायडस लाइफसाइंस के जायको वी-डी को 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लिए इस्तेमाल को मंजूरी दी गई थी।
चिकित्सकों को लगता है कि युवा बच्चों के लिए टीकाकरण जरूरी है।   
पुणे के बाल चिकित्सक और भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद जोग ने कहा, ‘भले ही बच्चों में कोविड-19 अपेक्षाकृत कम खतरनाक है लेकिन दूसरी लहर में हमें कोविड-19 के करीब 11 फीसदी मामले 10 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों में मिले थे। हमारे राज्य में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम और लंबी अवधि के कोविड मामले पाए गए थे। युवा बच्चों में कोविड-19 को कभी भी हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। 5-12 वर्ष के आयु वर्ग में कई सारी मौतों और गंभीर मामलों पर विचार करते हुए बहुत सारे देशों ने इस आयु समूह का टीकाकरण आरंभ कर दिया है। भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी का टीकाकरण पर विशेषज्ञ समूह भी 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए मजबूती से कोविड-19 टीकों को अपनाने की बात करता है।’     
उन्होंने कहा कि कोर्बेवैक्स एक प्रोटीन सबयूनिट टीका है जिसे हेपेटाइटिस बी की तरह अच्छी तरह से स्थापित प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर विनिर्मित किया गया है। हेपेटाइटिस बी टीके का लाइसेंस 5 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लिए दिया गया है और कोवैक्सीन का लाइसेंस 6 वर्ष और उससे अधिक उम्र के आयु समूहों के लिए दिया गया है। दोनों ही टीकों का इस्तेमाल पहले से ही बच्चों के लिए किया जा रहा है।

First Published : May 10, 2022 | 11:22 PM IST