हर पार्टी ने बताई अपनी जीत

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 9:10 PM IST

सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले पर हर तरफ बहस और प्रतिक्रिया का दौर चल रहा है। सीपीआई (एम) के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि उनकी पार्टी ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है।’


जहां तक क्रीमी लेयर का सवाल है, हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। इस मामले में हमारे विचारों को समर्थन मिला है। हम लंबे समय से मांग कर रहे थे कि आरक्षण पर पुनर्विचार करते हुए इसका लाभ ले रहे क्रीमी लेयर को इस सुविधा से बाहर किया जाना चाहिए।’


उन्होंने कहा कि क्रीमी लेयर के बारे में आया फैसला अनुसूचित जाति और जन जाति के मामलों में लागू नहीं होना चाहिए, क्योंकि इस कोटे से जुड़े लोग बमुश्किल क्रीमी लेयर में आएंगे।


हम चाहते हैं कि इस फैसले को आने वाले जुलाई सत्र से ही लागू कर दिया जाए। पार्टी द्वारा जारी एक बयान में यहां कहा गया ”माकपा पोलित ब्यूरो अन्य पिछड़ा वर्ग को केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने की सरकारी पहल को न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने के फैसले का स्वागत करता है।”


समय की मांग


भाजपा ने भी इस फैसले का स्वागत किया है। पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से भाजपा के सामाजिक न्याय के विचार को समर्थन मिला है। ‘यह समय की मांग है और किसी की उपेक्षा करके विकास की ओर नहीं बढ़ा जा सकता।’


क्रीमी लेयर को बाहर रखे जाने पर उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। राज्य सरकारें पहले ही इसी रास्ते पर चल रही हैं। हर राज्य ने तय कर रखा है कि कौन लोग क्रीमी लेयर में आते हैं। इससे कोई समस्या नहीं आने वाली है।


वर्गों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को संविधान सम्मत बताने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का भाजपा ने आज स्वागत किया। पार्टी ने कहा कि शीर्ष अदालत की यह व्यवस्था आ जाने के बाद सरकार को चाहिए वह तुरंत प्रभाव से इसे लागू कर दे।


डॉक्टर भी खुश


शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने के उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था में क्रीमी लेयर को शामिल नहीं किए जाने को आरक्षण विरोधी कार्यकर्ताओं ने सरकार की ‘हार’ बताया है।


अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रेजिडेंट डाक्टर एसोसिएशन (आरडीए) ने धमकी दी है कि अगर सरकार ने शीर्ष न्यायालय के फैसले की गलत व्याख्या की कोशिश की तो एक अन्य संघर्ष की शुरुआत की जाएगी। एम्स के आरडीए अध्यक्ष कुमार हर्ष ने कहा, ”यह एक मिलाजुला फैसला है। हम इसका स्वागत करते हैं।

First Published : April 10, 2008 | 10:55 PM IST