भारतीय बाजार में सस्ती बल्क ड्रग्स (दवाइयों में इस्तेमाल किया जाने वाला कच्चा माल) झोंकने के बाद अब चाइनीज कंपनियां तैयार उत्पाद (दवा) उतारने की योजना बना रही है।
चीन की दवा निर्माता कंपनियों का मानना है कि उनके उत्पाद काफी कम दाम पर उपलब्ध होंगे, जिससे भारतीय दवा कंपनियों की परेशानी बढ़ सकती है।औद्योगिक सूत्रों के मुताबिक, चाइनीज कंपनियां तमाम ऐसी दवाओं को भारतीय बाजार में उतारने की योजना बना रही हैं, जिसकी कीमत भारत में निर्मित दवाओं से करीब आधी होगी। इनमें टेबलेट, कैप्सूल, परंपरागत दवाइयां, स्वास्थ्य उपकरण, मेडिकल ड्रेसिंग से संबंधित उत्पाद शामिल हैं।
हालांकि भारतीय कंपनियों को इस बात से राहत मिल सकती है कि चाइनीज कंपनियां फिलहाल ब्रांडेड रिटेल सेंगमेंट में नहीं आ रही हैं, बल्कि उनका ध्यान बल्क बाजार की ओर है। ब्रांडेड दवाओं का निर्मण जहां बड़ी-बड़ी कंपनियां करती हैं, वहीं बल्क की आपूर्ति छोटे-छोटे उद्योगों में क्लिनिक आदि के लिए दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। चीन की नजर ऐसे ही लघु उद्योगों पर है।
स्मॉल फर्मा इंडस्ट्रीज कंफेडरेशन (एसपीआईसी) के महासचिव जगदीप सिंह का कहना है कि भारत में एंटीबॉयोटिक के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली 250 एमजी के टेरासाइक्लिन कैप्सूल के लिए बल्क की कीमत 355 रुपये है, जिससे 1000 कैप्सूल का निर्माण किया जा सकता है।
जबकि चाइनीज कंपनियों की ओर से यह 194 रुपये में ही उपलब्ध कराने की बात की जा रही है। अगर इसमें परिवहन शुल्क और कर लागत के तौर पर 25 फीसदी राशि अतिरिक्त जोड़ दें, तो भी चाइनीज टेरासाइक्लिन की कीमत 250 से कम ही होगी। ऐसे में भारतीय कंपनियां, जो ऐसी दवाइयों का उत्पादन करती हैं, उस पर व्यापक असर पड़ेगा।