उद्योगों के लिए अलग बिजली आपूर्ति पर विचार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 9:04 PM IST

ऊर्जा मंत्रालय बड़ा नीतिगत बदलाव करते हुए उद्योगों के लिए अलग से बिजली वितरण चैनल खड़ा करने पर विचार कर रहा है। विभाग ने राज्यों में औद्योगिक केंद्र बनाने का प्रस्ताव दिया है जिनके पास अलग से अपना बिजली आपूर्तिकर्ता होगा। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का कहना हैकि उद्योग और विशेष तौर पर विनिर्माण क्षेत्रों को आपूर्ति के लिए अलग से लाइन देने का ठेका निजी कंपनियों को दिया जाएगा।
एक अधिकारी ने कहा, ‘यह प्रस्ताव उद्योगों और विशेष तौर पर विनिर्माण उद्योगों के लिए बिजली की लागत घटाने के लिए दिया गया है जिनसे सरकारी क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) अधिक शुल्क लगाती हैं।’ उन्होंने कहा कि यह केंद्र सरकार के मेक इन इंडिया पहल का हिस्सा है और साथ ही इसका लक्ष्य भारतीय उद्योगों को प्रोत्साहन देना है। प्रस्ताव के मुताबिक प्रत्येक राज्य में विनिर्माण केंद्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें डीम्ड वितरण का दर्जा प्रदान किया जाएगा। इसके बाद इन क्षेत्रों को निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा। निजी बिजली आपूर्तिकर्ताओं को बिजली खरीद कर अपने संबंधित क्षेत्र में वितरण करने का अधिकार होगा।
भारत में विद्युत क्षेत्र संघ सूची का विषय है जिसमें विद्युत वितरण राज्य का विषय है और केंद्र की भूमिका दिशा दिखाने की है। विद्युत उत्पादन और अंतर्राज्यीय पारेषण केंद्र सरकार के अधीन आता है। दिल्ली स्थित बिजली क्षेत्र के विशेषज्ञ ने कहा, ‘इस तरह का प्रस्ताव उद्योग के लिए हर तरह से फायदेमंद है। उन्हें सस्ती बिजली मिलेगी जिससे उनकी पूंजीगत लागत में कमी आएगी। यह मुद्दा लंबे वक्त से औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय है। इससे बिजली आपूर्ति कारोबार में प्रतिस्पर्धा और क्षमता का विकास होगा और केंद्र सरकार इसी के लिए प्रयास कर रही है।’
अधिकारी ने कहा, ‘एक विकल्प यह है कि इन निजी उद्योगों को डीम्ड वितरण लाइसेंस दिया जाए जैसा कि रेलवे और मेट्रो रेल सेवा को मिला हुआ है।’ विद्युत अधिनियम, 2003 में किए गए संशोधन में भी इसका प्रस्ताव था कि राज्यों में निजी विद्युत वितरण फ्रेंचाइजी दिए जाएं। ऊर्जा मंत्रालय ने भी हाल में सरकारी डिस्कॉम के निजीकरण के लिए स्टैंडर्ड बीडिंग डॉक्यूमेंट (एसबीडी) का मसौदा तैयार किया है। यह प्रयास राज्यों को अपनी विद्युत आपूर्ति परिचालनों में सुधार के लिए प्रेरित करने के लिए है।
हालांकि, उद्योगों के लिए अलग से बिजली आपूर्ति के कदम से सरकारी डिस्कॉम को जोरदार झटका लगेगा जिनके राजस्व का बड़ा स्रोत औद्योगिक उपभोक्ता हैं। अधिकांश सरकारी डिस्कॉम औद्योगिक उपभोक्ताओं से क्रॉस सब्सिडी और उपकर वसूलती हैं ताकि उपभोक्ताओं के निश्चित वर्गों को सस्ती दर पर या मुफ्त में विद्युत आपूर्ति करने के लिए राजस्व का सृजन किया जा सके।
कई बड़े औद्योगिक कलस्टर और वाणिज्यिक उपभोक्ता अपने स्तर पर बिजली खरीदने के लिए ओपन एक्सेस का सहारा लेते हैं। हालांकि, ओपन एक्सेस के उपभोक्ताओं को राज्य के बाहर से बिजली खरीदने पर अपने संबंधित राज्य को ओपन एक्सेस शुल्कों का भुगतान करना पड़ता है। यदि उद्योगों के लिए अलग से बिजली आपूर्तिकर्ताओं को डीम्ड लाइसेंसधारक का दर्जा दिया जाता है तो राजस्व का यह स्रोत भी बंद हो जाएगा। सरकारी बिजली डिस्कॉम आर्थिक और परिचालन के स्तर पर दो दशक से परेशान हैं। विगत में उन्हें परेशानी से बाहर निकालने के लिए तीन सुधार योजनाएं लाई गई हैं लेकिन उनमें से अधिकांश की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।
भाजपा सरकार अपने पहले कार्यकाल में उदय नाम से पिछला डिस्कॉम सुधार योजना लाई थी जो वित्त वर्ष 2020 में पूरी हुई है। इसमें अधिकांश राज्य अपने लक्ष्य को पाने में नाकाम रहे।

First Published : November 20, 2020 | 12:46 AM IST