लॉक होगी आधार की जानकारी!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:11 AM IST

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) लोगों को स्थायी रूप से अपनी व्यक्तिगत जानकारियां छुपाने (लॉक) की अनुमति देने पर विचार कर रहा है। ‘आधार’ व्यवस्था का प्रबंधन करने वाली इस एजेंसी ने ऑफलाइन माध्यम से भी आधार क्रमांक का सत्यापन करने की प्रणाली शुरू करने की बात कही है। इसके लिए ‘आधार नंबर कैप्चर सर्विस टोकन’ या एनएनसीएस टोकन व्यवस्था का इस्तेमाल किया जाएगा। यूआईडीएआई ने अपने मसौदा आधार नियमन, 2021 के मसौदे में ये प्रस्ताव दिए हैं।
मसौदे में कहा गया है, ‘प्राधिकरण लोगों को व्यक्तिगत जानकारियां स्थायी रूप से छुपाने की सुविधा देने पर विचार कर रहा है। जरूरत पडऩे पर लोग अस्थायी रूप से इन्हें सार्वजनिक (अनलॉक) कर सकते हैं। जिन लोगों ने अपनी जानकारियां छुपा रखी हैं, उनके सत्यापन के लिए शुरू हुई प्रकिया के बाद एक संदेश आएगा जिसमें कोई उत्तर नहीं लिखा होगा। इसके साथ एक उपयुक्त कोड भी संलग्न होगा। मसौदा आधार नियमन, 2021 आधार नियमन, 2016 की जगह लेगा। आधार लॉक होने की स्थिति में यूआईडीएआई लोगों को वर्चुअल आईडी या अन्य माध्यमों से अभिप्रमाणित करने का विकल्प देगा। यूआईडीएआई ने ये प्रस्ताव सार्वजनिक स्तर पर विचार-विमर्श के लिए 20 मई को पेश किए हैं। एनसीएस टोकन कुछ ही समय के लिए वैध होगा। इस बारे में यूआईडीएआई की तरफ से कुछ नहीं बताया गया है कि एनसीएस एक नई प्रणाली होगी या मौजूदा यूआईडीएआई सत्यापन प्रणाली का ही हिस्सा होगी।
ऐसा प्रतीत होता है कि नए नियमन का मुख्य मकसद ऑफलाइन माध्यम से आधार का सत्यापन है। मसौदा नियमन के अनुसार ऑफलाइन सत्यापन बिना अभिप्रमाणन के किसी आधार क्रमांक धारक की पहचान सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है। ये ऑफलाइन माध्यम के बारे में यूआईडीएआई समय-समय पर निर्देश जारी करेगा। इनमें क्यूआर कोड सत्यापन, आधार कागज रहित ऑफलाइन ई-केवाईसी सत्यापन, ई-आधार सत्यापन, ऑफ लाइन पेपर आधारित सत्यापन आदि शामिल होंगे।
इन नए प्रस्तावों से पहले यूआईडीएआई ने ऑफलाइन आधार डेटा वैरिफिकेशन सर्विस के जरिये ऑफलाइन सत्यापन की अनुमति दी थी। इसमें एक सुरक्षित दस्तावेज उत्पन्न करने के लिए लोगों को कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता था। हालांकि नियमन में यह भी कहा गया है कि जिन इकाइयों को आधार क्रमांक  प्राप्त करने या संग्रहीत करने की अनुमति नहीं है वे आधार अनुक्रमांक के पहले आठ अंक को स्याही या उचित विधि से छुपा देंगे और उसके बाद ही इसकी एक प्रति अपने पास रख पाएंगे। नए नियमन में ‘ऑफलाइन वैरिफिकेशन सीकिंग ऐन्टिटी’ या ओवीएसई को उस इकाई के तौर पर परिभाषित किया गया है जो आधार क्रमांक धारक का ऑफलाइन सत्यापन करना चाहती है। मसौदा नियमन में कहा गया है, ‘ओवीएसई आधार क्रमांक से जुड़ी जानकारियां ऑफलाइन लेने के लिए प्राधिकरण द्वारा मुहैया कराए गई ऑफलाइन सत्यापन सुविधा का इस्तेमाल कर सकती है। हालांकि वह ऐसा आधार धारक को सत्यापन का उद्देश्य बताने के बाद ही कर पाएगी।’ मसौदे में यह भी कहा गया है कि किसी इकाई या व्यक्ति को किसी दूसरी इकाई या व्यक्ति की तरफ से आधार ऑफलाइन सत्यापन करने की अनुमति नहीं होगी। मसौदे के अनुसार ओवीएसई आधार धारक की सहमति से ऑफलाइन आधार डेटा संरक्षित कर सकती है। मसौदे में कहा गया है कि आधार क्रमांक धारक कभी भी ओवीएस को सूचनाएं संग्रहीत करने की दी गई अनुमति वापस ले सकता है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो ओवीएसई को ऑफलाइन आधार डेटा हटाना होगा और इसका प्रमाण भी आधार क्रमांक को देना होगा।

First Published : May 31, 2021 | 11:20 PM IST