बिजली मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय बिजली ग्रिड परिचालक ने 13 राज्यों को हाजिर बाजार से बिजली खरीदने से रोक दिया है। इन राज्यों पर रोक बतौर सजा लगाई गई है क्योंकि इनकी बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) बिजली उत्पादक कंपनियों का बकाया ही नहीं चुका रही हैं। इनमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, मणिपुर, मिजोरम, कर्नाटक, बिहार, राजस्थान, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की डिस्कॉम शामिल हैं, जिन पर कुल 5,000 करोड़ रुपये बाकी हैं। सबसे ज्यादा 1,380 करोड़ रुपये का बकाया तेलंगाना पर है।
ग्रिड चलाने वाले पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन (पोसोको) ने पहली बार बिजली (विलंब भुगतान अधिभार एवं संबंधित मामले) नियम, 2022 का इस्तेमाल कर डिस्कॉम को सजा दी है और उन्हें वैकल्पिक अल्पावधि स्रोतों से बिजली खरीदने से रोका है।
डिस्कॉम हाजिर बाजार से अतिरिक्त बिजली नहीं खरीद पाएंगी। हालांकि उत्पादक कंपनियों के साथ उनके लंबी अवधि के करारों के तहत आपूर्ति जारी रहेगी। अगर बकाये का भुगतान आगे भी नहीं होता है तो लंबी अवधि की आपूर्ति को भी नियंत्रित किया जा सकता है। अब ये बिजली वितरण कंपनियां हाजिर बाजार से अतिरिक्त बिजली नहीं खरीद पाएंगी मगर उत्पादक कंपनियों से दीर्घावधि करार के तहत उन्हें बिजली मिलती रहेगी। इसके बाद भी बकाया नहीं चुकाया गया तो दीर्घावधि आपूर्ति भी कम की या रोकी जा सकती है।
डिस्कॉम को भुगतान के अनुशासन में बांधने के इरादे से ये नियम इसी जून में अधिसूचित किए गए थे। भुगतान की अंतिम तिथि यानी एक महीने के बाद बकाया राशि पर डिस्कॉम को विलंब भुगतान अधिभार चुकाना होता है। अगर भुगतान में और देर की जाती है तो अधिभार की राशि हर महीने 0.5 फीसदी की दर से बढ़ जाएगी।
डिफॉल्ट के ढाई महीने के बाद भी बकाया नहीं चुकाया गया तो जुर्माना लग जाएगा। नियमों में कहा गया है, ‘विलंब भुगतान अधिभार नियम में दी गई प्रक्रिया के मुताबिक डिफॉल्ट करने वाली डिस्कॉम की अल्पावधि की बिजली आपूर्ति पर बंदिश लगा दी जाएगी। बंदिशों के बाद भी डिफॉल्ट जारी रहता है या साढ़े तीन महीने तक भुगतान नहीं किया जाता है तो दीर्घावधि या मध्यम अवधि की बिजली आपूर्ति में 10 फीसदी कटौती कर दी जाएगी। डिफॉल्ट होने पर हर महीने 10 फीसदी कटौती और कर दी जाएगी।
इसमें हाजिर बाजार से बिजली खरीद पर पूरी तरह रोक लगाना और बाद में मध्यम तथा दीर्घ अवधि की बिजली खरीद में कटौती करते जाना शामिल है। डिस्कॉम ने उत्पादक कंपनियों से दीर्घावधि करार किए हैं।
इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के मुताबिक नए विलंब भुगतान अधिभार नियमों के तहत जुर्माना खुद ही लग जाता है और डिस्कॉम ने उसका पालन नहीं किया तो जुर्माना और भी कड़ा हो जाएगा। हाजिर बाजार से बिजली खरीद पर बंदिश लगाए जाने से बिजली एक्सचेंजों में बिजली सस्ती होगी क्योंकि वहां कम खरीदार पहुंचेंगे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘राज्य भुगतान से चूकते हैं, केंद्रीय उत्पादन कंपनियां आपूर्ति कम करती हैं और डिस्कॉम एक्सचेंज में पहुंच जाती हैं, जिससे दाम चढ़ जाते हैं। इससे वे बकाया चुकाने से भी बच जाती थीं। मगर अब विकल्प कम किए जा रहे हैं ताकि उन्हें भुगतान के लिए मजबूर होना पड़े।
सरकारी बिजली वितरण कंपनियों पर मौजूद बकाया खत्म करने के लिए दो योजनाएं लाई गईं फिर भी उन पर बकाया बढ़ता जा रहा है। सबसे ज्यादा बकाया निजी स्वामित्व वाले या स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का है मगर नवीकरणीय बिजली इकाइयों का बकाया भी डिस्कॉम पर लगातार बढ़ता जा रहा है। जुलाई तक डिस्कॉम पर उत्पादक कंपनियों का कुल बकाया 1.2 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है।