प्रतीकात्मक तस्वीर
यूरोपीय संघ की कार्यकारिणी के प्रमुख ने मंगलवार को सदस्य देशों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए 800 अरब यूरो (841 अरब अमेरिकी डॉलर) याने 73 लाख 32 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की योजना का प्रस्ताव रखा। इसका मकसद अमेरिका के रक्षा सहयोग से अलग होने के संभावित कदम का मुकाबला करना है और युद्धग्रस्त यूक्रेन को रूस के साथ बातचीत करने के लिए सैन्य ताकत प्रदान करना है जहां अमेरिका ने उसकी सहायता पर रोक लगा दी है।
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि विशाल ‘‘रीआर्म यूरोप’’ पैकेज को 27 यूरोपीय संघ नेताओं के समक्ष रखा जाएगा, जो अमेरिका में बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितता के एक सप्ताह के बाद बृहस्पतिवार को ब्रसेल्स में एक आपातकालीन बैठक में मिलेंगे। वॉन डेर लेयेन ने कहा, ‘‘मुझे उन खतरों की गंभीर प्रकृति का वर्णन करने की आवश्यकता नहीं है जिनका हम सामना कर रहे हैं।’’
लेयेन की ओर से प्रस्तावित योजना पर मंगलवार को ट्रंप द्वारा यूक्रेन को सैन्य सहायता रोकने के निर्णय से पहले ही काम शुरू हो गया था। यूरोपीय संघ के देशों की दुविधा का मुख्य कारण पिछले दशकों में रक्षा पर अधिक खर्च करने की अनिच्छा रही है, क्योंकि वे अमेरिकी सुरक्षा गारंटी की छत्रछाया में थे और उनकी अर्थव्यवस्था सुस्त थी। इसलिए उन्हें ऐसे खर्च को शीघ्र बढ़ाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
वॉन डेर लेयेन द्वारा प्रस्तावित योजना के लिए अधिकतर राशि यूरोपीय संघ द्वारा बजटीय खर्च पर लगाए गए वित्तीय अनुशासन में ढील से आएगी ताकि सदस्य देशों को बिना दंडात्मक कार्रवाई के अपने रक्षा व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि करने की अनुमति मिल सके। इससे सदस्य देशों को रक्षा पर खर्च करने में मदद मिलेगी, तथा उन्हें यूरोपीय संघ के नियमों के अंतर्गत रहने के लिए सामाजिक व्यय में कटौती करने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा।
वेयेन ने बताया, ‘‘यदि सदस्य देश अपने रक्षा व्यय में सकल घरेलू उत्पाद के औसतन 1.5 प्रतिशत की वृद्धि करते हैं, तो इससे चार वर्षों की अवधि में लगभग 650 अरब यूरो (683 अरब अमेरिकी डॉलर) का राजकोषीय प्रावधान हो सकता है।’ इसके अतिरिक्त 150 अरब यूरो (157 अरब अमेरिकी डॉलर) का ऋण कार्यक्रम भी होगा, जिससे सदस्य देश रक्षा में निवेश कर सकेंगे।
वेयेन ने कहा कि जिन सैन्य उपकरणों में सुधार की आवश्यकता है उनमें वायु एवं मिसाइल रक्षा, तोपखाना प्रणाली, मिसाइल एवं गोला-बारूद, ड्रोन एवं ड्रोन रोधी प्रणालियां तथा साइबर तैयारी शामिल हैं। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो)के महासचिव मार्क रूटे ने सदस्य देशों से कहा है कि उन्हें यथाशीघ्र अपने रक्षा खर्च को सकल घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत से अधिक की दर तक पहुंचना होगा। यह योजना अब बृहस्पतिवार के शिखर सम्मेलन के लिए मसौदा होगी। हालांकि, मजबूत प्रतिबद्धताओं के बावजूद तत्काल निर्णय की संभावना नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने यूक्रेन (Ukraine) को दी जाने वाली सभी सैन्य मदद (all military aid) पर रोक लगाने का आदेश दिया है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब ओवल ऑफिस में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) के साथ हुई तीखी बहस के बाद दोनों देशों के संबंधों को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी रक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ट्रंप चाहते हैं कि यूक्रेन की सरकार पहले शांति के प्रति अपनी गंभीर प्रतिबद्धता दिखाए।
रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने बताया कि अमेरिका की ओर से यूक्रेन भेजे जा रहे सभी सैन्य उपकरणों पर रोक लगा दी गई है। इसमें वे हथियार भी शामिल हैं जो जहाजों और विमानों से भेजे जा रहे थे या पोलैंड के ट्रांज़िट क्षेत्रों में इंतजार कर रहे थे। ट्रंप ने रक्षा सचिव पीट हेगसेथ (Pete Hegseth) को इस रोक को लागू करने का निर्देश दिया है।
इस फैसले के बाद यूरोपीय सहयोगी देशों ने तेजी से यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई जारी रखने और किसी समझौते के तहत शांति सैनिक (peacekeepers) भेजने की योजना बनानी शुरू कर दी। हालांकि, यूरोप के पास वे हथियार और क्षमताएं नहीं हैं, जो फिलहाल अमेरिका उपलब्ध करा रहा है। सहयोगी देशों के अधिकारियों ने कहा है कि हथियारों की सप्लाई केवल गर्मियों तक चलने की संभावना है।
ट्रंप के आदेश से कुल कितनी सहायता प्रभावित होगी, यह तुरंत स्पष्ट नहीं हो सका। ट्रंप के कार्यभार संभालने के समय पिछली प्रशासन से 3.85 अरब डॉलर की राशि शेष थी, जो अमेरिकी भंडार से हथियार देने की प्रेसिडेंशियल ड्रॉडाउन अथॉरिटी के तहत थी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप प्रशासन वास्तव में यह धनराशि यूक्रेन के लिए इस्तेमाल करेगा या नहीं, खासकर तब जब अमेरिका के हथियार भंडार कम हो रहे हैं और उन्हें फिर से भरने की जरूरत है।
सोमवार (3 मार्च) का यह फैसला सिर्फ फंडिंग खत्म होने तक इंतजार करने से आगे बढ़कर, पहले से जारी या भेजी जा रही सहायता को भी रोक सकता है। इसमें जरूरी गोला-बारूद, सैकड़ों गाइडेड मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम, एंटी-टैंक हथियार और अन्य रक्षा उपकरणों की आपूर्ति शामिल है। अगर मौजूदा रक्षा अनुबंध रद्द किए जाते हैं, तो अमेरिका को उन कंपनियों को मुआवजा देना पड़ सकता है, जिन्होंने पहले ही ऑर्डर पूरा करने का काम शुरू कर दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के इस कदम से अब यूरोपीय यूनियन के सदस्य देशों को अपने रक्षा बजट में 73 लाख 32 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी करनी होगी। जिसका सीधा फायदा अमेरिकी कंपनियों को होगा जो रक्षा क्षेत्र में सक्रिय हैं, क्योंकि इन देशों की सेनाएं इन्ही अमेरिकी रक्षा उपकरणों को इस्तेमाल करती आई हैं। ऐसे में 73 लाख 32 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के कारोबार का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी कंपनियों के हिस्से में जाएगा।
वहीं रक्षा क्षेत्र में आ रही भारतीय कंपनियां भी इस कारोबार में अपनी भागीदारी देंगी। जिसके लिए आने वाले समय में अमेरिकी कंपनियों के साथ भारतीय रक्षा क्षेत्र की कंपनियों के कई व्यापारिक संमझौते देखने को मिल सकते हैं। भारतीय कंपनियों को कम लागत में बेहतर उत्पादन का फायदा मिलेगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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