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सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनैशनल इकनॉमिक फोरम (एसपीआईईएफ) के निदेशक एलेक्सी वाल्कोव ने कहा कि रूस पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद एसपीआईईएफ में प्रतिभागियों और कारोबारियों की संख्या बढ़ रही है। एसपीआईआईएफ को दावोस के विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) का समकक्ष संगठन माना जाता है।
वाल्कोव ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ‘मैं बताना चाहता हूं कि प्रतिबंधों के बावजूद फोरम में भाग लेने वालों की संख्या बढ़ी है। दरअसल इससे कोई समस्या नहीं है। मेरा कहना है कि कारोबार बढ़ने के साथ प्रतिबंधों के बावजूद प्रतिभागियों की संख्या बढ़ी है। 2021 में कोविड के वक्त 13,000 प्रतिभागी थे, जो अब बढ़कर 21,000 हो गए हैं।’
रूस और यूक्रेन के बीच लगातार टकराव जारी रहने से अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की नाराजगी बढ़ी है और उन्होंने 2022 की शुरुआत के बाद से रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाना शुरू किया है। भूराजनीतिक तनावों को देखते हुए हाल में अमेरिका ने कुछ भारतीय फर्मों को भी प्रतिबंध के दायरे में ला दिया था, जो रूस को अलग-थलग करने की अमेरिका की कवायदों की उपेक्षा कर रहे थे।
एसबीआईईएफ व्यवसायों के लिए एक वैश्विक मंच है, जहां रूस, उभरते बाजारों और पूरी दुनिया में हो रही आर्थिक गतिविधियों पर चर्चा होती है। इसका सालाना कार्यक्रम 18 से 21 जून, 2025 को होना है। वाल्कोव ने कहा कि भारत और रूस के बीच कारोबार 2023-24 के 65 अरब डॉलर से बढ़ाकर 2030 तक 100 अरब डॉलर करने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य की दिशा में एसपीआईईएफ सक्रिय भूमिका निभा रहा है। इसका विस्तृत ब्योरा साझा किए बगैर उन्होंने आगे कहा कि पिछले 3 साल में कई सौदे और कॉन्ट्रैक्ट पर एसपीआईईएफ में दस्तखत हुए हैं और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है।
उन्होंने कहा, ‘सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनैशनल इकनॉमिक फोरम को हम अपनी साझेदारी, कारोबार और आगे सहयोग मजबूत करने के मंच के रूप में देखते हैं। पिछले साल इस मंच के माध्यम से 6.5 अरब रूबल के सौदे हुए।’जहां तक भारत और रूस के बीच व्यापार और निवेश का मसला है, कई सेक्टर में हिस्सेदारी बढ़ रही है। खासकर आईटी, ऊर्जा और रक्षा जैसे परंपरागत क्षेत्रों में संबंध मजबूत हो रहे हैं।
आने वाली बैठक में सभी सेक्टरों पर समान रूप से ध्यान होगा, वहीं फार्मास्यूटिकल्स, साइबर सुरक्षा के साथ शहरों और उपनगरों के विकास जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। वाल्कोव ने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच रुपया-रूबल में कारोबार की व्यवस्था लागू होने पर अपार संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा, ‘मेरे विचार से हमारे लिए इसमें अपार क्षमता और बड़े अवसर हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि रुपया-रूबल के माध्यम से व्यापारिक लेनदेन पर बातचीत सफलतापूर्वक संपन्न होगी।’ उन्होंने कहा कि इसके पहले की बैठक में भारत के कारोबारियों और भारत में काम करने वाले रूस के बैंकों ने रुपया-रूबल में कारोबार को लेकर चर्चा की थी।