सऊदी राजकुमार और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान की भारत की राजकीय यात्रा के बाद सऊदी अरब के सॉवरिन वेल्थ फंड, पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (पीआईएफ) से भारत की कंपनियों के वित्तपोषण में तेजी आ सकती है। यह फंड विश्व के 7 बड़े सॉवरिन वेल्थ फंड में से एक है और यह राज्य के निवेश का मुख्य माध्यम है।
ऊर्जा की मांग बढ़ने और तेल के वैश्विक दाम में तेजी की वजह से पीआईएफ बढ़ा है और इससे सऊदी अरब को राजस्व बढ़ाने में मदद मिली है। भारत के मामले में सऊदी अरब खासकर बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश के लिए एक निवेश रणनीति बनाना चाहता है, जिसमें रियल एस्टेट शामिल है। इसकी योजना तैयार करने के लिए परामर्श फर्म बेन ऐंड कंपनी से संपर्क किया गया है।
सूत्रों का कहना है कि पीआईएफ ने पिछले साल कहा था कि वह भारत में अगले 3 साल में 4 अरब डॉलर से ज्यादा निवेश करना चाहता है।
पीआईएफ ने एस्सार समूह हिस्सेदारी लेने के लिए शुरुआती बातचीत की है और उसने सऊदी अरब में 4.5 अरब डॉलर के एकीकृत स्टील संयंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव किया है, जिसकी सालाना क्षमता 40 लाख टन सालाना होगी।
इस रणनीतिक परियोजना के कच्चे माल के लिए पहले ही समझौता हो चुका है। सरकार समर्थित सऊदी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट फंड द्वारा इसकी जांच अंतिम चरण में है। एक बार इसे मंजूरी मिल जाने के बाद फंड अन्य रणनीतिक परियोजनाओं को भी कम ब्याज दरों पर धन मुहैया कराएगा।
अब तक पीआईएफ भारत में निवेश को लेकर पश्चिम एशियाई या दक्षिण पूर्व एशियाई सॉवरिन वेल्थ फंडों जैसे अबूधाबी इंवेस्टमेंट अथॉरिटी (एडीआईए), अमीरात सरकार के मुबाडाला और सिंगापुर सरकार के जीएआईसी की तुलना में कम आक्रामक था।
इसके प्रबंधन के तहत 700 अरब डॉलर की संपत्ति है और सऊदी राजकुमार इसके चेयरमैन हैं। पश्चिम एशिया में यह तीसरा सबसे बड़ा सॉवरिन वेल्थ फंड है, जो एडीआईए और कुवैत इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी से पीछे है।
महामारी के दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज की कंपनियों रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स, रिलायंस रिटेल वेंचर्स और डिजिटल फाइबर इन्फ्रास्ट्रक्चर में कुल मिलाकर 3.3 अरब डॉलर निवेश करके वैश्विक निवेशक समुदाय को आश्चर्यचकित कर दिया था।
भारत में पीई निवेश पर बेन-आईवीसीए रिपोर्ट के मुताबिक इसकी वजह से पीआईएफ भारत में ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी/ सॉवरिन वेल्थ फंड के निवेश में सबसे बड़ी निवेशक बन गई।