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रूस के विदेश मंत्री आज और कल भारत में रहेंगे

Last Updated- December 11, 2022 | 8:22 PM IST

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव 31 मार्च से दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर भारत आ रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। यूक्रेन के खिलाफ 24 फरवरी को रूस द्वारा शुरू किए गए सैन्य अभियान के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है। लावरोव के चीन की दो दिवसीय यात्रा समाप्त करने के बाद भारत की यात्रा पर आने की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव 31 मार्च से 1 अप्रैल तक भारत के आधिकारिक दौरे पर आएंगे।’
समझा जाता है कि लावरोव की यात्रा के दौरान भारत द्वारा रूस से तेल और द्विपक्षीय कारोबार के लिए भुगतान प्रणाली पर चर्चा पर होगी। सूत्रों के अनुसार, इस दौरान भारत द्वारा रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली के उपकरणों और सैन्य हथियारों की समय पर आपूर्ति पर भी जोर दिया जा सकता है। लावरोव की यात्रा ऐसे समय में होने जा रही है जब अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह और ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस भी भारत आने वाली हैं। ट्रस 30-31 मार्च को भारत का दौरा करेंगी। जर्मनी के विदेश एवं सुरक्षा नीति सलाहकार जेन्स प्लॉटनर भी भारत के दौरे पर आए हैं। पिछले सप्ताह चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भी भारत का दौरा किया था। इसके साथ इसी सप्ताह हिंद प्रशांत के लिए यूरोपीय संघ के विशेष दूत गैब्रियल विसेंटिन नई दिल्ली आए।
कई अन्य प्रमुख शक्तियों के विपरीत, भारत ने अभी तक यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की आलोचना नहीं की है और उसने रूसी आक्रमण की निंदा करने वाले प्रस्तावों पर संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर मतदान में हिस्सा लेने से परहेज किया है। वहीं, पिछले गुरुवार को यूक्रेन में मानवीय संकट को लेकर रूस द्वारा पेश प्रस्ताव पर मतदान के दौरान भी भारत अनुपस्थित रहा। यह इस संघर्ष को लेकर भारत के निष्पक्ष रुख को प्रदर्शित करता है। संघर्ष शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से टेलीफोन
पर 24 फरवरी, 2 मार्च और 7 मार्च को बात कर चुके हैं। मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमिर जेलेंस्की से दो बार बात कर चुके हैं।

डोभाल से मिले जर्मन सुरक्षा सलाहकार
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भारत यात्रा पर आए जर्मनी के सुरक्षा एवं विदेश नीति सलाहकार जेन्स प्लॉटनर से बुधवार को व्यापक वार्ता की जो यूक्रेन में संघर्ष से उपजी भू-राजनीतिक उथल-पुथल के साथ-साथ अहम द्विपक्षीय मुद्दों से संबंधित रही। प्लॉटनर एक दिन की भारत यात्रा आए जिसके बाद वह जापान जाएंगे। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, बातचीत के दौरान डोभाल ने विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के भारत के दृढ़ दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी राष्ट्रों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित है। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने कई द्विपक्षीय मुद्दों के साथ-साथ अहम वैश्विक घटनाक्रम पर भी चर्चा की, जिनमें अपने-अपने क्षेत्रों से जुड़े मुद्दे भी शामिल थे।
जर्मनी के चांसलर के सुरक्षा एवं विदेश नीति सलाहकार की दिल्ली यात्रा ऐसे वक्त हो रही है जब कई उच्च स्तरीय विदेशी गणमान्य व्यक्ति यूक्रेन संकट तथा अन्य क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर सलाह-मशविरे के लिए भारत की यात्रा कर रहे हैं। एक सूत्र ने बताया, ‘दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की मजबूत और लचीली तथा इसमें मौजूद पारस्परिक लाभ की अपार संभावनाओं की फिर से पुष्टि की।’ सूत्रों ने बताया, ‘वे इस बात पर सहमत हुए कि आगामी छठा अंतर सरकार परामर्श दोनों पक्षों के नेतृत्व को बातचीत करने और द्विपक्षीय साझेदारी को तीव्र करने का मौका देगा।’ उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने पारस्परिक हित के मुद्दों पर बातचीत करते रहने पर सहमति जताई।
बातचीत से पहले, प्लॉटनर ने कहा कि विश्व को रूस के यूक्रेन पर हमले के भू-राजनीतिक परिणामों को समझना चाहिए। प्लॉटनर ने पत्रकारों से कहा कि जर्मनी यूक्रेन में फौरन संघर्ष विराम की कोशिश में है और वह पूर्वी यूरोपीय देश में संकट को लेकर अपने
देश के दृष्टिकोण को साझा करने के लिए भारत आए हैं।  
 
जेलेंस्की ने वार्ता में प्रगति की बात कही, लेकिन अविश्वास जताया
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमिर जेलेंस्की ने कहा है कि रूस के वार्ताकारों के साथ जारी वार्ता में कुछ सकारात्मक संकेत मिले हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि रूस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। रूस ने मंगलवार को तुर्की के इस्तांबुल में यूक्रेन और रूसी प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई वार्ता के बाद घोषणा की कि रूस यूक्रेन की राजधानी कीव और उत्तरी शहर चेर्नीहिव के निकट सैन्य अभियानों को कम करेगा। अमेरिका और अन्य देशों ने रूस की इस घोषणा पर संदेह व्यक्त किया है। जेलेंस्की ने मंगलवार रात एक वीडियो संबोधन में कहा कि यूक्रेन के सैनिकों के ‘साहस और प्रभावी कार्रवाई’ ने रूस को कीव व चेर्नीहिव के आसपास कार्रवाई को कम करने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन वार्ता प्रक्रिया को जारी रखेगा।

यूक्रेन के साथ वार्ता में कोई सफलता नहीं मिली: रूस
क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति कार्यालय) का कहना है कि यूक्रेन के साथ ताजा दौर की बातचीत में कोई सफलता नहीं मिली है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने बुधवार को कहा कि यह एक ‘सकारात्मक कारक’ रहा कि यूक्रेन ने अपना लिखित प्रस्ताव सौंपा है। हालांकि, पेस्कोव ने कहा, ‘हम यह नहीं कह सकते कि कुछ भी आशाजनक रहा या सफलता मिली।’ उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि तुर्की में मंगलवार को हुई रूस-यूक्रेन की वार्ता के बाद आगे काफी काम करना बाकी है।
मंगलवार की वार्ता के दौरान, यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि उसने शांति समझौते के लिए एक विस्तृत रूपरेखा पेश की है जिसके तहत देश अपने आप को निष्पक्ष घोषित करेगा और अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, तुर्की, चीन और पोलैंड जैसे अन्य देश उसकी सुरक्षा की गारंटी देंगे। यूक्रेनी पक्ष ने यह भी कहा है कि वह क्रीमिया क्षेत्र के भविष्य के संदर्भ में 15 साल की अवधि में वार्ता करने का भी इच्छुक है, जिसे 2014 में रूस ने अपने नियंत्रण में ले लिया था। पेस्कोव ने कहा कि वार्ता के दौरान रूसी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे व्लादीमिर मेडिंस्की ने इसके निष्कर्ष से राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन को अवगत कराया है। हालांकि, प्रवक्ता ने वार्ता के बारे में अधिक विवरण साझा नहीं किया। क्रीमिया को लेकर यूक्रेन द्वारा वार्ता की पेशकश से जुड़े सवाल पर पेस्कोव ने कहा कि देश के संविधान के अनुसार क्रीमिया रूस का अभिन्न अंग है और इस पर चर्चा करने का कोई औचित्य नही है।     

First Published - March 30, 2022 | 11:46 PM IST

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