अंतरराष्ट्रीय

पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच, रूस ने भारतीय एयरलाइंस से मांगी घरेलू उड़ानों की मदद

पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूसी एयरलाइंस को अमेरिकी और यूरोपीय विमानों और जरूरी पुर्जों की सप्लाई में दिक्कतें हो रही हैं, जिससे उनकी उड़ान सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।

Published by
अभिजित कुमार   
Last Updated- October 30, 2024 | 4:52 PM IST

पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से जूझ रहे रूस ने भारतीय एयरलाइंस को अपने देश के अंदर घरेलू उड़ानें संचालित करने का प्रस्ताव दिया है। यह कदम रूस की एयरलाइंस द्वारा घरेलू मांग पूरी न कर पाने के कारण उठाया गया है। “द इकोनॉमिक टाइम्स” की रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने इस मुद्दे को हल करने के लिए एक ‘कैबोटेज’ समझौता प्रस्तावित किया है, जिससे विदेशी एयरलाइंस को रूस के अंदर उड़ानें संचालित करने की अनुमति मिलेगी।

यह प्रस्ताव एक महीने पहले भारत, चीन और कुछ मध्य एशियाई देशों को दिया गया था, और इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के दौरान चर्चा की गई थी, जब वे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे।

पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूसी एयरलाइंस को अमेरिकी और यूरोपीय विमानों और जरूरी पुर्जों की सप्लाई में दिक्कतें हो रही हैं, जिससे उनकी उड़ान सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।

हालांकि, भारतीय एयरलाइंस ने रूस में इस तरह की उड़ानों को लेकर चिंता जताई है। “द इकोनॉमिक टाइम्स” की रिपोर्ट में बताया गया है कि विमान पट्टेदारों और बीमा कंपनियों के संभावित विरोध के कारण भारतीय एयरलाइंस रूस में संचालन करने को लेकर आशंकित हैं। इसके अलावा, भारतीय एयरलाइंस पहले से ही घरेलू उड़ानों के लिए विमानों की कमी का सामना कर रही हैं, जिससे रूस में संचालन करना और कठिन हो जाता है।

विमान पट्टे और बीमा संबंधी समस्याएं

भारतीय एयरलाइंस ज्यादातर किराए के विमानों का इस्तेमाल करती हैं, और कई पट्टेदार रूस में अपने विमानों को उड़ाने की अनुमति देने के लिए तैयार नहीं हैं। एक वरिष्ठ एयरलाइन अधिकारी ने बताया कि इन प्रतिबंधों और बीमा कवरेज खोने के जोखिम के कारण रूस में संचालन करना बेहद मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा, विमान की सीमित सप्लाई भारत में एयरलाइंस के विस्तार में भी बाधा बन रही है।

रूसी एयरलाइंस पर प्रतिबंधों का असर

यूक्रेन संघर्ष से पहले, रूस के अधिकांश बेड़े में बोइंग और एयरबस के विमान शामिल थे। हालांकि, प्रतिबंधों के कारण अब रूस को इन विमानों की सप्लाई रोक दी गई है और ये विमान अन्य बाजारों में भेजे जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, एयर इंडिया को हाल ही में एयरबस A350 विमान मिले हैं, जो पहले रूसी एयरलाइन एअरोफ्लॉट के लिए तय थे। इसके अलावा, पश्चिमी कंपनियों ने रूसी विमानों के लिए जरूरी पुर्जों और सॉफ्टवेयर का समर्थन भी बंद कर दिया है, जिससे रूस के कई विमान ग्राउंडेड हो गए हैं और बेड़े का विस्तार प्रभावित हुआ है।

सेंटर फॉर एविएशन (CAPA) की रिपोर्ट के अनुसार, रूस की घरेलू उड़ान क्षमता अब भी महामारी से पहले के स्तर पर बनी हुई है, लेकिन सक्रिय बेड़े की संख्या 2019 के 874 से घटकर अब 771 हो गई है। CAPA का अनुमान है कि रूसी यात्री यातायात में मामूली वृद्धि होगी, और 2027 तक यह संख्या 98.8 मिलियन तक पहुंच सकती है, जो 2024 के स्तर के करीब है।

भारत-रूस व्यापारिक संबंध

हालांकि, प्रतिबंधों के बावजूद भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत बने हुए हैं। भारत उन कुछ देशों में से एक है, जो रूसी एयरलाइंस को अपनी उड़ानें संचालित करने की अनुमति देता है। एयर इंडिया भी रूस के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करके अपनी उड़ानें जारी रखे हुए है, जिससे उसे यूरोपीय और अमेरिकी एयरलाइंस के मुकाबले कम उड़ान समय का फायदा मिलता है।

First Published : October 30, 2024 | 4:52 PM IST