रूस पर प्रतिबंधों के बाद उसकी मुद्रा में भारी उतार-चढ़ाव बना हुआ है, जिसे मद्देनजर रखते हुए भारत और रूस रूबल को प्रस्तावित रुपया-रूबल कारोबार से बाहर रख सकते हैं। इसके बजाय भुगतान डॉलर के मुकाबले रुपये में किया जा सकता है, जिसे किसी भारतीय बैंक खाते में जमा किया जाएगा।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘रुपया-रूबल व्यापार शायद व्यवहार्य नहीं होगा क्योंकि रूबल में भारी गिरावट आ चुकी है। इसके बजाय व्यापार का मूल्य डॉलर के मुकाबले रुपये में आंका जा सकता है। आरबीआई इस पर भारतीय और रूसी बैंकों के साथ मिलकर काम कर रहा है।’
अधिकारी के मुताबिक प्रस्तावित व्यवस्था के तहत जब भारत रूस से वस्तुओं का आयात करेगा तो डॉलर के बराबर राशि किसी भारतीय बैंक के खाते में रुपये में जमा की जा सकती है। जब भारत रूस को माल का निर्यात करेगा तो भारतीय निर्यातकों को उसी खाते से रुपये में भुगतान किया जा सकता है। निर्यातकों ने दावा किया है कि उनका 40 करोड़ डॉलर का भुगतान रुका हआ है। पश्चिमी देशों ने रूस के बहुत से बैंकों की सोसाइटी फॉर वल्र्डवाइड इंटरबैंक फाइनैंशियल टेलीकम्युनिकेशन (स्विफ्ट) प्रणाली तक पहुंच बंद कर दी है।
एक पूर्व वाणिज्य सचिव ने कहा कि भारत इन प्रतिबंधों के कारण रूस को हार्ड करेंसी में भुगतान नहीं कर सकता है। वह भारत में किसी खाते में रुपये में भुगतान कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘रूस का हमारे साथ व्यापार अधिशेष है, इसलिए उनके पास भारतीय वस्तुएं खरीदने के लिए पर्याप्त रुपया होगा। इस तरह से कारोबार का निपटान होगा। यह एक तरह का वस्तु विनिमय व्यापार है।’
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले सप्ताह संसद को बताया था कि सरकार रूस के साथ व्यापार में पैदा होती दिक्कतों के कारण भुगतान समेत विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा, ‘सरकार में वित्त मंत्रालय की अगुआई वाला मंत्रालयों का एक समूह इन मामलों की पड़ताल करेगा।’ हालांकि पहले जिस अधिकारी का हवाला दिया गया है, उन्होंने कहा कि सरकार इस बात से चिंतित है कि रूस के साथ भुगतान व्यवस्था में पश्चिमी देश कैसे भुगतान स्वीकार करेंगे। उन्होंने कहा, ‘भुगतान व्यवस्था तय होने के बाद भी शायद कोई औपचारिक घोषणा नहीं की जाए। हमें मामले की गंभीरता को देखते हुए ढोल पीटने की जरूरत नहीं है।’
भारत ने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा नहीं की है और वह इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान से भी दूर रहा है। पिछले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अमेरिका के सहयोगियो में भारत एक अपवाद है, जिसकी यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध पर ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है।
