रूस के खिलाफ लड़ाई में मदद के लिए यूक्रेन इन दिनों कुछ नया कर रहा है। यूक्रेन को सैनिकों की कमी, मुश्किल परिस्थिति और दूसरे देशों से कम मदद मिल रही है। इस वजह से वो जीतने के लिए एक नया तरीका ढूंढ रहे हैं। छुपे हुए गोदामों और कारखानों में यूक्रेन की कई प्रयोगशालाएं मिलकर एक खास सेना तैयार कर रही हैं। ये सेना असल में रोबोटों की होगी। यूक्रेन को उम्मीद है कि ये रोबोट रूसी सैनिकों को लड़ाई में हराएंगे और यूक्रेन के सैनिकों और आम लोगों को बचाएंगे।
नई कंपनियों का योगदान
यूक्रेन में तकरीबन 250 नई कंपनियां रक्षा के लिए मशीनें बना रही हैं। ये कंपनियां छिपी हुई जगहों पर काम कर रहीं हैं, जो अक्सर गांवों की गाड़ी ठीक करने वाली दुकानों जैसी दिखती हैं। उदाहरण के लिए, उद्यमी आंद्रेई डेनिसेंको की एक कंपनी के कर्मचारी चार दिनों में ही ड्राइवरलेस गाड़ी बना लेते हैं जिसे वो “ओडिसी” कहते हैं। इस गाड़ी की सबसे खास बात ये है कि इसकी कीमत बहुत कम है – केवल 35,000 अमेरिकी डॉलर। ये आयात किए गए मॉडल की कीमत से 10 गुना कम है।
ये रक्षा बनाने वाली कंपनियां दुकानों को ही कारखानों में बदल रही हैं। अंदर कई छोटे कमरे बनाए गए हैं, जहां अलग-अलग काम होते हैं। एक कमरे में धातु को जोड़ने का काम होता है, दूसरे कमरे में गाड़ी के ढांचे को बनाया जाता है। इन गाड़ियों पर फाइबरग्लास से बने सामान रखने की जगह बनाई जाती है। फिर इन्हें हरे रंग में रंगा जाता है। इन गाड़ियों में आसानी से मिलने वाले सामान, जैसे बैटरी से चलने वाली मोटर, कैमरे और गर्मी पता लगाने वाले सेंसर लगाए जाते हैं। ये बड़ी-बड़ी पश्चिमी कंपनियों के तरीके से बिल्कुल अलग हैं।
मानव रहित प्रणाली बल की स्थापना
यूक्रेन की सेना में मई के महीने से एक नया दल शामिल हुआ है, जिसे “मानव रहित प्रणाली बल” कहा जाता है। ये सेना के थलसेना, जलसेना और वायुसेना के साथ मिलकर काम करेगा। ये रक्षा बनाने वाली कंपनियां कम दाम में ये मशीनें बनाने के लिए कई जुगाड़ लगाती हैं। इंजीनियर रक्षा से जुड़ी पत्रिकाओं या ऑनलाइन वीडियो से आइडिया लेते हैं। सबसे पहले वो सिर्फ बुनियादी ढांचा बनाते हैं, बाद में इस पर हथियार या दूसरे ज़रूरी उपकरण लगाए जा सकते हैं।
उदाहरण के लिए, डेनिसेंको नाम के एक उद्यमी की कंपनी “यूक्रेन प्रोटोटाइप” रक्षा उपकरण बनाती है। उनका कहना है कि “हम एक बहुत बड़े देश से लड़ रहे हैं, उनके पास हर चीज़ की भरपूर मात्रा है। हम जानते हैं कि हम अपने सैनिकों की ज़्यादा जान नहीं गंवा सकते। युद्ध गणित का खेल है।” पिछले महीने उत्तर यूक्रेन के एक मक्के के खेत में उनकी एक कार के आकार की बिना सवार चलने वाली गाड़ी “ओडीसी” का टेस्ट किया गया।
ये करीब 800 किलो वजनी गाड़ी दिखने में एक छोटे टैंक जैसी है। ये एक बार चार्ज होने पर 30 किलोमीटर तक चल सकती है। इसकी बैटरी छोटे बीयर कूलर के आकार की है। अभी ये गाड़ी घायलों को निकालने और सामान पहुंचाने के काम आती है, लेकिन बाद में इसे बदलकर रिमोट से चलने वाली मशीन गन या माइंस साफ करने के उपकरण लगाए जा सकते हैं।
भविष्य की योजनाएं
यूक्रेन की सरकार ने अपने मानव रहित प्रणाली बल के शुरुआत के बाद एक पेज बनाया था। उस पेज पर बताया गया था कि भविष्य में रोबोटों के दल सामान ले जाने का काम करेंगे, फंसे हुए वाहनों को निकालने में मदद करेंगे, माइंस बिछाने और साफ करने का काम करेंगे, और कुछ खुद ही नष्ट हो जाने वाले रोबोट भी होंगे। युद्ध के मैदान में रोबोट पहले ही अपनी उपयोगिता साबित कर चुके हैं। यूक्रेन के उप प्रधानमंत्री मिखाइलो फेडोरोव लोगों को मुफ्त ऑनलाइन कोर्स करने और घर पर ही हवाई जहाज जैसे रोबोट बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि यूक्रेन हर साल 10 लाख ऐसी फ्लाइंग मशीन बनाए।
यूक्रेन की सरकार का कहना है कि जल्द ही ऐसे और भी रोबोट बनकर तैयार हो जाएंगे। उदाहरण के लिए, डेनिसेंको की कंपनी एक ऐसे रोबोटिक सूट पर भी काम कर रही है जिसे पहनकर सैनिक ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे। साथ ही वो ऐसे वाहन भी बना रहे हैं जो सैनिकों का सामान ले जाने में मदद करेंगे, यहां तक कि ऊंचाई पर चढ़ने में भी उनकी मदद कर सकेंगे। उप प्रधानमंत्री मिखाइलो फेडोरोव ने लिखा है, “हम मानव रहित तकनीक को और तेजी से विकसित करने के लिए सब कुछ करेंगे। रूस अपने सैनिकों को युद्ध में मारे जाने के लिए भेजता है, जबकि हम अपने सबसे बेहतरीन लोगों को खो देते हैं।”
चिंताएं और विशेषज्ञों की राय
यूक्रेन के पास कुछ ऐसे हवाई जहाज जैसे ड्रोन हैं जो थोड़े बहुत खुद फैसले ले सकते हैं और दुश्मन के ड्रोन को रोकने वाले हथियार भी हैं। ये हथियार AI का इस्तेमाल करते हैं। सस्ते हथियारों और AI के मेल से कई विशेषज्ञ चिंतित हैं। उनका कहना है कि सस्ते ड्रोन इन हथियारों को और ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र और वेटिकन के टेक्नॉलॉजी विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंतित हैं कि युद्ध में ड्रोन और AI के इस्तेमाल से लड़ाई और खतरनाक हो सकती है और लोग आसानी से मारे जा सकते हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच और दूसरे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह ऐसे हथियारों पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं जिन्हें चलाने का फैसला कोई इंसान नहीं लेता। इसी मांग को संयुक्त राष्ट्र महासभा, एलन मस्क और गूगल की कंपनी DeepMind के संस्थापक भी दोहरा रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रोफेसर टोबी वॉल्श का कहना है कि “सस्ते ड्रोन इन हथियारों को और ज्यादा लोगों तक पहुंचाएंगे। साथ ही यह भी हो सकता है कि ये ड्रोन खुद ही ज्यादा फैसले लेने लगें।” (AP के इनपुट के साथ)