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सीमा पर शांति हो तो संबंध सामान्य

Last Updated- December 11, 2022 | 8:33 PM IST

भारत ने शुक्रवार को कहा कि चीन के साथ संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक कि उसके सैनिक विवादित सीमा से पीछे नहीं हट जाते लेकिन चीन ने नई दिल्ली में विदेश मंत्रियों की एक बैठक के दौरान संबंधों को सामान्य बनाने पर जोर दिया। दोनों देशों ने जून 2020 में लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्र में झड़प के बाद से इस पहाड़ी सीमा पर हजारों सैनिकों को तैनात किया गया है।
दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच भी बातचीत में थोड़ी प्रगति हुई है। भारत ने चीन से स्पष्ट रूप से कहा कि पूर्वी लद्दाख में विवादास्पद क्षेत्रों से पीछे हटने की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाए क्योंंकि अगर सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति असामान्य रहेगी तब तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते। चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ करीब तीन घंटे बातचीत के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सामान्य संबंधों की बहाली के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं अमन बहाल होना जरूरी है।
जयशंकर ने वांग से भारत पर एक स्वतंत्र नीति का अनुपालन करने और चीन के दृष्टिकोण को अन्य देशों से प्रभावित नहीं होने देने की भी अपील की। जयशंकर ने तीन दिन पहले इस्लामाबाद में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की बैठक में कश्मीर पर चीन के विदेश मंत्री की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए वांग के साथ अपनी बातचीत में यह टिप्पणी की। भारत ने वांग की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा था कि अन्य देशों को जम्मू कश्मीर पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि यह भारत का आंतरिक मामला है।
जयशंकर ने भारत की यात्रा पर आए चीन के विदेश मंत्री के साथ लगभग तीन घंटे तक हुई चर्चा के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘अगर दोनों देश संबंधों को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं तब इसे विवादास्पद क्षेत्रों से पीछे हटने की प्रक्रिया के बारे में जारी बातचीत में भी नजर आना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख को लेकर भारत और चीन के बीच वर्तमान स्थिति के संबंध में कार्य प्रगति पर है, हालांकि इसकी गति वांछित स्तर की तुलना में धीमी है। उन्होंने कहा कि सीमा पर दोनों पक्षों की ओर से भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती किए जाने के मद्देनजर भारत और चीन के संबंध सामान्य नहीं हैं और सामान्य संबंधों  को बहाल करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांतिपूर्ण माहौल बनाए जाने की आवश्यकता होगी।
वांग गुरुवार को काबुल से अघोषित यात्रा पर दिल्ली पहुंचे। यह पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद पिछले करीब दो वर्षाे में किसी चीनी नेता की पहली उच्च स्तरीय यात्रा है। वांग और जयशंकर ने इस बात को रेखांकित किया कि दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख गतिरोध के मुद्दे पर वरिष्ठ सैन्य कमांडर के स्तर पर 15 दौर की वार्ता हो चुकी है और इसमें पीछे हटने के संबंध में संघर्ष के कई क्षेत्रों को लेकर प्रगति दर्ज की गई है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘इसे आगे बढ़ाए जाने की जरूरत है क्योंकि पीछे हटने की प्रक्रिया का पूर्ण होना इस पर बातचीत के लिए जरूरी है।’
 उन्होंने कहा, ‘मैं फिलहाल यही कहूंगा कि कार्य प्रगति पर है। स्वाभाविक तौर पर यह वांछित स्तर से धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।’ उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री के साथ उनकी बातचीत इस प्रक्रिया को गति देने पर केंद्रित थी। जयशंकर ने कहा कि चीनी विदेश मंत्री के साथ लगभग तीन घंटे तक खुले रूप से वास्तविक एजेंडे पर स्पष्ट और व्यापक तरीके से बात हुई। उन्होंने कहा, ‘हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की जो अप्रैल 2020 से चीनी कार्रवाई  के परिणामस्वरूप प्रभावित हुए हैं।’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘हमने चीन के विदेश मंत्री को देश की भावना से अवगत करा दिया कि अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति बहाल होना सामान्य रिश्ते के लिए जरूरी है। जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध का जिक्र करते हुए कहा कि सीमा पर दोनों पक्षों की ओर से भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है, स्पष्ट रूप से सीमा क्षेत्रों में स्थिति सामान्य नहीं है तथा वहां शांति एवं स्थिरता प्रभावित हुई है।’
उन्होंने कहा कि सामान्य संबंधों को बहाल करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांतिपूर्ण माहौल बनाए जाने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि चीनी विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर स्पष्टता से बातचीत हुई। एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने स्थापित नियमों एवं समझौतों के विपरीत सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों की मौजूदगी का जिक्र किया। जयशंकर ने कहा, ‘अगर आप पूछेंगे कि स्थिति सामान्य है, तब मेरा जवाब होगा कि नहीं, यह सामान्य नहीं है।’ उन्होंने कहा कि जब तक इतने बड़े पैमाने पर सीमा पर तैनाती रहेगी, सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘विदेश मंत्री वांग ने सामान्य स्थिति (संबंधों में) बहाल होने की चीन की इच्छा जाहिर की और हमारे संबंधों के व्यापक महत्त्व का जिक्र भी किया। मैंने भी कहा कि भारत स्थिर और अपेक्षित संबंध चाहता है लेकिन सामान्य स्थिति की बहाली के लिए स्वाभाविक तौर पर शांति एवं अमन बहाल होना जरूरी है।’ जयशंकर ने कहा कि सैन्य एवं कूटनीतिक स्तर पर बातचीत का सकारात्मक परिणाम सामने आया है लेकिन क्षेत्र में स्थिति सामान्य नहीं है। शुक्रवार को बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख विवाद और यूक्रेन संकट से पैदा हुई भू-राजनीतिक उथल-पुथल समेत विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई। 11 मार्च को भारत और चीन के बीच 15वें दौर की उच्च सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी ताकि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र से जुड़े लंबित मामलों का समाधान निकाला जा सके। हालांकि, इस बातचीत में कोई प्रगति नहीं हुई थी। सितंबर 2020 में शांघाई सहयोग संगठन की बैठक से इतर मास्को में जयशंकर एवं वांग के बीच बातचीत हुई थी। यूक्रेन संकट के कारण भू-राजनीतिक उथल-पुथल शुरू होने के बीच शुक्रवार की बातचीत में भारत और चीन ने तत्काल संघर्षविराम की आवश्यकता और संघर्ष को कम करने के लिए युद्धरत देशों के कूटनीति एवं बातचीत की राह पर लौटने की जरूरत पर सहमति जताई।    

First Published - March 25, 2022 | 10:53 PM IST

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