रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को अपने चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन से कहा कि स्थायी आपसी जुड़ाव एवं तनाव कम करने की सुविचारित कार्ययोजना से ही भारत और चीन के बीच सीमा संबंधी जटिल मुद्दे हल हो सकते हैं। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘राजनाथ सिंह ने सीमा प्रबंधन और इस मुद्दे पर स्थापित तंत्र को पुनर्जीवित कर सीमांकन का स्थायी समाधान निकालने पर जोर दिया।’
सिंह ने गुरुवार को शांघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक के मौके पर चीन के छिंगताओ में डोंग से मुलाकात की। बयान में कहा गया है कि द्विपक्षीय बैठक के दौरान भारत-चीन सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर गहन चर्चा हुई। इसमें कहा गया है कि सिंह ने सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए दोनों पक्षों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने एशिया और दुनिया में स्थिरता के लिए सहयोग करने के साथ-साथ सर्वोत्तम पारस्परिक लाभ प्राप्त करने के लिए पड़ोसियों से अच्छे संबंध बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
रक्षा मंत्री ने मई 2020 में गलवान नदी घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए संघर्ष के बाद बनी अविश्वास की खाई को जमीनी स्तर पर कार्रवाई कर पाटने का भी आग्रह किया। उस समय गलवान में हुई झड़प में कम से कम 24 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी जबकि चीन के भी कई सैनिक मारे गए थे। इसके बाद से ही भारत और चीन के संबंधों में तनाव पैदा हो गया था और दोनों ने सीमा पर सैनिकों व हथियारों की भारी तैनाती कर दी थी। काफी समय तक दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने डटी रहीं। हालांकि, बीते साल अक्टूबर में रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात के बाद रिश्तों पर जमी बर्फ दोबारा पिघलने लगी है।
बयान में कहा गया है कि दोनों मंत्रियों ने सीमा से जुड़े मुद्दों को सुलझाने और तनाव की स्थिति खत्म करने के लिए बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई। सिंह ने डोंग को पहलगाम आतंकवादी हमले के बारे में भी जानकारी दी, जिसमें 26 लोग लक्षित तरीके से मारे गए थे। उन्होंने इस हमले के बाद आतंकियों के खिलाफ भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर नाम से चलाई गई सैन्य कार्रवाई के बारे में भी उन्हें जानकारी दी। भारत ने गुरुवार को एससीओ के उस संयुक्त बयान हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था जिसमें पहलगाम आतंकवादी हमले का कोई जिक्र नहीं था।