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नेपाल के ‘ऋण जाल’ में फंसने की आशंका, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे हालात का करना पड़ सकता है सामना

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भाषा
Last Updated- February 24, 2023 | 4:53 PM IST

यदि नेपाल सरकार ने ‘ऋण जाल’ कूटनीति को लेकर बेहद सावधानी नहीं बरती, तो उसे भी श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे आर्थिक हालात का सामना करना पड़ सकता है।

पोखरा में हुई विमान दुर्घटना ने नजदीकी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सुर्खियां बटोरीं। इस हादसे में विमान में सवार सभी 72 लोगों की मौत हो गई थी। इस हवाई अड्डे को ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ पहल के तहत चीन की सहायता से बनाया गया था और इसके वित्तपोषण पर भ्रम की स्थिति के कारण विवाद रहा है।

ये आरोप लगते रहे हैं कि इस पहल के तहत चीन की ऋण कूटनीति ‘ऋण जाल कूटनीति’ में परिवर्तित हो सकती है और इसके तहत विकासशील देशों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को प्रायोजित करना और फिर ‘ऋण जाल’ के आधार पर उन सरकारों को प्रभावित करना शामिल है।

पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के अलावा, नेपाल ने अभी-अभी दो प्रमुख परियोजनाओं – भैराहवा में गौतमबुद्ध अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और राजधानी काठमांडू में चोभर ड्राई पोर्ट – का निर्माण पूरा किया है। इनमें से कोई भी महंगी परियोजना प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रही है। यदि किसी परियोजना की व्यावसायिक रणनीति अप्रभावी है या बिना कठोर तैयारी के स्थापित की गई है, तो यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय और भावी पीढ़ियों के लिए बेहद नकारात्मक संदेश है।

यहां जोखिम यह है कि देश का राष्ट्रीय ऋण उस समय बहुत अधिक भारी साबित हो सकता है, जब नेपाल को गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे में बड़े निवेश की आवश्यकता हो। वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए, नेपाल सरकार को आंतरिक ऋण के तौर पर अधिकतम 256 अरब नेपाली रुपये (लगभग 2 अरब डॉलर) जुटाने की अनुमति है।

बाहरी कर्ज पर लगाम लगाने का यह फैसला ऐसे समय में सामने आया है, जब श्रीलंका समेत कई देश कर्ज चुकाने में असफल हो रहे हैं। ऐसे में नेपाली अधिकारी चीन से कर्ज लेने में खासी सतर्कता बरत रहे हैं और बीजिंग से ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ पहल के तहत परियोजनाओं के लिए ऋण के बजाय दान का अनुरोध कर रहे हैं।

First Published : February 24, 2023 | 4:53 PM IST