रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन द्वारा यूक्रेन में सैन्य हमले का आदेश दिए जाने के बाद नाटो ने यूक्रेन और रूस के पास स्थित अपने पूर्वी किनारे में अपनी जमीनी, समुद्री बलों और वायुसेना की तैनाती को मजबूत करने पर एक आपातकालीन बैठक में सहमति जतायी। नाटो के दूतों ने आपातकालीन वार्ता के बाद जारी एक बयान में कहा, ‘हम गठबंधन के पूर्वी हिस्से में अतिरिक्त रक्षात्मक जमीनी और वायुसेना, साथ ही अतिरिक्त समुद्री परिसंपत्ति तैनात कर रहे हैं।’
बयान में कहा गया, ‘हमने सभी तरह की आकस्मिक स्थिति का जवाब देने के लिए अपने बलों की तैयारी बढ़ा दी है।’ संघर्ष के निकटतम देशों – एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और पोलैंड – ने नाटो की स्थापना संधि के अनुच्छेद 4 के तहत दुर्लभ परामर्श शुरू करने का अनुरोध किया। ऐसी वार्ता तब की जा सकती है जब (नाटो सदस्यों में से किसी की) ‘क्षेत्रीय अखंडता, राजनीतिक स्वतंत्रता या सुरक्षा खतरे में होती है।’ दूतों ने कहा, ‘हमने अपनी रक्षात्मक योजना के अनुरूप सभी सहयोगियों की रक्षा के लिए गठबंधन में प्रतिरोधक क्षमता और रक्षा को और मजबूत करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने का फैसला किया है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे कदम एहतियाती, आनुपातिक और गैर-उकसावे वाले हैं।’
जयशंकर ने ईयू से चर्चा की
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को यूरोपीय संघ (ईयू) के विदेश मामलों एवं सुरक्षा नीति के उच्च प्रतिनिधि जोसेफ बोरेल के साथ यूक्रेन में ‘गंभीर स्थिति’ के बारे में चर्चा की । जयशंकर ने कहा कि इस बात पर चर्चा की गई कि यूक्रेन की स्थिति को सामान्य बनाने में भारत किस प्रकार से योगदान कर सकता है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘ईयू एचआरवीपी जोसेफ बोरेल का फोन आया। यूक्रेन की गंभीर स्थिति और भारत किस प्रकार तनाव कम करने के प्रयास में योगदान कर सकता है, इसके बारे में चर्चा की।’ यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमले के बारे में अपने बयान में बोरेल ने कहा कि वह दुनियाभर में अपने सहयोगियों के साथ संपर्क में रहेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसकी गंभीरता समझ सके। भाषा