शुक्रवार को म्यांमार में आए भूकंप के क्षतिग्रस्त घर
Myanmar Earthquake: म्यांमार में आए 7.7 की तीव्रता के भूकंप ने पूरे देश को झझकोर कर रख दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस भूकंप से अब तक आधिकारिक तौर पर 1000 से अधिक लोगों की मौत और 2200 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हालांकि, कई एजेंसियों का मानना है कि मृतकों की संख्या अभी और बढ़ सकती है क्योंकि मलबे के नीचे दबे लोगों का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। इस बीच अमेरिका की जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) एजेंसी ने दावा किया है कि मरने वालों की संख्या 10,000 से भी अधिक पहुंच सकती है। म्यांमार सरकार ने देश के बड़े हिस्से में इमरजेंसी का एलान कर दिया गया है।
बता दें कि शुक्रवार को आया यह भूकंप इतना तेज था कि इसे थाईलैंड की राजधानी से लेकर भारत के मणिपुर और मेघालय के कुछ हिस्सों तक में महसूस किया गया। थाईलैंड में भी इस भूकंप के कारण 6 लोगों की मौत हुई है जबकि 100 लोगों के लापता होने की खबर है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस घटना चिंता जाहिर करते हुए लिखा, “म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप के बाद की स्थिति से चिंतित हूं। सभी की सुरक्षा और भलाई के लिए प्रार्थना करता हूं। भारत हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है। हमने अपने अधिकारियों को तैयार रहने को कहा है। साथ ही विदेश मंत्रालय से म्यांमार और थाईलैंड की सरकारों के साथ संपर्क में रहने को कहा है।”
इसके अलावा भारत ने भूकंप प्रभावित म्यांमार की मदद के लिए “ऑपरेशन ब्रह्मा” की शुरुआत की है। इसके तहत शनिवार को म्यांमार को 15 टन से अधिक राहत सामग्री भेजी गई है। इसकी जानकारी देते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने एक्स पर लिखा, “ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू हो गया है। भारत से मानवीय सहायता की पहली खेप म्यांमार के यांगून हवाई अड्डे पर पहुंच गई है।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर इसकी जानकारी साझा की है। उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा, ऑपरेशन ब्रह्मा -भारत कल के भीषण भूकंप से प्रभावित म्यांमार के लोगों की सहायता के लिए प्रथम प्रक्रिया कर्ता के रूप में कार्य कर रहा है। टेंट, कंबल, स्लीपिंग बैग, खाद्य पैकेट, स्वच्छता किट, जनरेटर और आवश्यक दवाओं सहित 15 टन राहत सामग्री की हमारी पहली खेप यांगून पहुंच गई है।
बता दें कि सागांग फॉल्ट में हाल के सालों में कई भूकंप आए हैं, जिसमें 2012 के अंत में 6.8 मैग्निट्यूड का एक भूकंप आया था, जिसमें कम से कम 26 लोगों की मौत हुई थी और दर्जनों लोग घायल हुए थे। सागांग फॉल्ट भारतीय प्लेट और बर्मा माइक्रोप्लेट के बीच की एक बड़ी टेक्टोनिक सीमा है। इसके चलते म्यांमार भूकंप के लिए संवेदनशील है।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लेकिन शुक्रवार का भूकंप म्यांमार के मुख्य भूभाग में पिछले तीन-चौथाई सदी में आया “सबसे बड़ा” भूकंप था। ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे मानद रिसर्च फेलो रोजर मसन ने रॉयटर्स को बताया कि भूकंप की कम गहराई के कारण नुकसान अधिक हुआ। संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वे के अनुसार, भूकंप का केंद्र सिर्फ 10 किलोमीटर (6.2 मील) की गहराई पर था।
इसमें कहा गया “यह बहुत नुकसानदायक है क्योंकि यह कम गहराई पर हुआ, इसलिए भूकंप के केंद्र से सतह तक आने वाली झटके की तरंगें कम नहीं हुईं। इमारतों को झटकों की पूरी ताकत झेलनी पड़ी। यह जरूरी है कि हम भूकंप के केंद्र पर ध्यान न दें, क्योंकि भूकंपीय तरंगें केंद्र से बाहर की ओर नहीं फैलती।”
हालांकि, अभी पूरी तरह से कुछ भी साफ नहीं हो पाया है लेकिन USGS ने शुक्रवार को कहा कि मृतकों की संख्या 10,000 से 100,000 लोगों के बीच हो सकती है। इसके अलावा कई एजेंसियों का मानना है कि आर्थिक नुकसान म्यांमार के जीडीपी (GDP) का 70% तक हो सकता है।
रोजर मसन ने कहा कि ऐसे अनुमान पिछले भूकंपों के डेटा और म्यांमार के आकार, स्थान और भूकंप के लिए कुल तैयारियों पर आधारित हैं। उनका मानना है कि सागांग क्षेत्र घनी आबादी वाले मंडाले (Mandalay) के करीब है, और वहां का बुनियादी ढांचा उन्हें झेलने के लिए नहीं तैयार था। इसका मतलब है कि नुकसान बहुत ज्यादा हो सकता है।
मसन ने कहा कि इस क्षेत्र में आखिरी बड़ा भूकंप 1956 में आया था, और वहां के घर शायद ही शुक्रवार जैसे शक्तिशाली भूकंप को झेलने के लिए बनाए गए हों।
दुनियाभर से विदेशी बचाव टीमें शनिवार को म्यांमार पहुंचने लगी ताकि भूकंप से बचे लोगों की मदद कर सकें। एक चीनी बचाव टीम म्यांमार की वाणिज्यिक राजधानी यांगून में पहुंची, जो मंडाले और अन्य दूसरे प्रभावित शहरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर है, जहां 1,000 बिस्तरों वाले अस्पताल के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए। इसके अलावा रूस, भारत, मलेशिया और सिंगापुर म्यांमार के लिए राहत सामग्री और कर्मियों से भरे विमान भेज रहे थे।
2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद एक निर्वाचित नागरिक सरकार को हटाने के बाद गृहयुद्ध से म्यांमार बुरी तरह से पहले से ही तबाह हो गया है। दक्षिण कोरिया ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय संगठनों के माध्यम से म्यांमार को 2 मिलियन डॉलर की शुरुआती मानवीय सहायता देगा। संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा कि वह म्यांमार को इससे उबरने के लिए सहायता देगा। संयुक्त राज्य अमेरिका का म्यांमार की सैन्य सरकार के साथ तनावपूर्ण रिश्ता चल रहा है और इसके चलते उसने देश पर कई प्रतिबंध भी लगाए हैं।