प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की आगामी बैठक में अमेरिका से अधिक कच्चा तेल मिलने पर बात बन सकती है। प्रधानमंत्री सोमवार को दो दिवसीय यात्रा पर फ्रांस गए हैं। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने बताया कि प्रधानमंत्री इस सप्ताह के अंत में अमेरिका का दौरा करेंगे।
हरदीप पुरी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘यदि अमेरिका से अधिक कच्चे तेल (एनर्जी) की आपूर्ति नहीं होती है तो मुझे अचरज होगा।’ पुरी ने संकेत दिया कि अमेरिका द्वारा वैश्विक कीमतों को कम करने की मंशा को देखते हुए अमेरिका से ऊर्जा आयात में वृद्धि होने की संभावना है। पुरी ने जोर देकर कहा, ‘यह गतिशील स्थिति है। हम सभी स्रोतों से आयात करने के लिए तैयार हैं।’ उन्होंने भारत के संदर्भ में बताया कि भारत को तेल की आपूर्ति करने वाले देशों की सूची में बढ़कर 40 देश हो गए हैं जबकि पहले यह 27 थे। इसमें सबसे नया नाम अर्जेंटीना का है।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, पेट्रोलियम मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को संकेत दिया है कि वह अमेरिका से अधिक तेल की आपूर्ति का इच्छुक है। बहरहाल ट्रंप के चुनाव जीतने को भारत की ऊर्जा सुरक्षा खासतौर पर कच्चे तेल के आयात के लिए निश्चित रूप से सकारात्मक माना जा रहा है। भारत कच्चे तेल की अपनी 85 फीसदी जरूरतों को आयात से पूरा करता है। अप्रैल से अमेरिका से कच्चे तेल की आवक में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन निर्यात संबंधी बाधाओं को हटा देगा तथा प्राकृतिक गैस कोटा को अधिकृत कर देगा। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में रूस के कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगे हुए हैं और ऐसे में अमेरिका का कच्चा तेल भारत के लिए विकल्प बनेगा।
वर्ष 2024-25 के पहले आठ महीनों में भारत के कच्चे तेल का पांचवां सबसे बड़ा स्रोत अमेरिका था। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में अमेरिका ने भारत को 4.1 अरब डॉलर मूल्य का कच्चा तेल भेजा था।
इस दौरान बाइडन प्रशासन के स्वच्छ ईंधन पर जोर की पहल के बावजूद अमेरिका लगातार दो वर्षों तक भारत के लिए पांचवां सबसे बड़ा स्रोत बना रहा है, हालांकि इस मामले में वित्त वर्ष 22 के बाद यह एक पायदान नीचे आया है।
ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान भी अमेरिका से कच्चे तेल का आयात तेजी से बढ़ा था। आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका से कच्चे तेल के आयात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 18 के 0.7 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 21 में 9 फीसदी हो गई थी। हाल के वर्षों में इसने भारत के आयात मिश्रण में अपनी महत्त्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज करा ली है।
अधिकारीगण भारत के लिए तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में भी अमेरिका पर नजर रख रहे हैं। ट्रंप ने एक आधिकारिक आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है जिसके बाद अमेरिकी सरकार ने नई एलएनजी परियोजनाओं के लिए निर्यात मंजूरी की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। दरअसल, बीते साल जनवरी में जो बाइडन प्रशासन ने अमेरिका से मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) नहीं करने वाले देशों को एलएनजी निर्यात पर अमेरिका ऊर्जा विभाग की अनुमति तक अस्थायी रूप से रोक लगाने की घोषणा की थी। भारत का अमेरिका के साथ एफटीए नहीं है। वैश्विक स्तर पर अमेरिका एलएनजी का सबसे बड़ा निर्यातक है। अमेरिका से एलएनजी की खेप इस दशक के अंत तक दोगुनी होने की उम्मीद है। अमेरिका के ऊर्जा सूचना प्रशासन (आईईए) के आंकड़ों के मुताबिक कोविड महामारी के प्रकोप के बाद 2020 की शुरुआत से भारत को एलएनजी की खेप तेजी से बढ़ रही है। मासिक कारोबार गिरने के बाद मई 2021 में उच्च स्तर 28,25.9 करोड़ घन फुट पर पहुंच गया था। यह आईईए के मासिक आंकड़ा प्रकाशित बंद करने से पहले अक्टूबर 2023 में 13,69.8 करोड़ घन फुट पर पहुंच गया था।