रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने सेना पर किए जाने वाले खर्च और हथियारों की खरीद को केंद्र में ला दिया है। अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर भी प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है। अगर प्रतिबंधों के माध्यम से अमेरिका के विरोधियों का मुकाबला करने से जुड़े अधिनियम के प्रावधान लागू किए जाते हैं तब यह भारत की रूस से आगे रक्षा खरीद करने की क्षमता में बाधा डालेगा।
फिलहाल, भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वालों देशों में से एक है। स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2016 से 2020 के बीच, भारत ने सेना पर 331.8 अरब डॉलर खर्च किए जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.6 फीसदी है।
हालांकि चीन ने भारत की तुलना में तीन गुना अधिक खर्च किया लेकिन सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात के लिहाज से इसने सेना पर केवल 1.7 प्रतिशत खर्च किया है। हालांकि, भारत के रक्षा खर्च का एक बड़ा हिस्सा अन्य देशों से हथियारों के आयात में चला गया। भारत वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा हथियार आयातक रहा है और उसने 2017-21 में चीन की तुलना में लगभग दोगुना खर्च किया है। भारत के हथियारों के आयात को टक्कर देने वाला एकमात्र अन्य देश सऊदी अरब था।
आगे के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि भारत का हथियार आयात, कुल आयात के अनुपात के रूप में बढ़ रहा है। 2021 में, वैश्विक हथियारों के आयात में देश का योगदान 17.2 प्रतिशत था और 30 सालों में इसकी दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। 2013 में, पांच आयातित हथियारों में से एक में भारत का योगदान था। देश डेढ़ दशक पहले तक रूस पर बहुत अधिक निर्भर था लेकिन अब भारत के आयात में इसकी हिस्सेदारी में कमी आई है।
हालांकि, अमेरिकी प्रतिबंध अभी भी चिंता का विषय हैं क्योंकि भारत के आयात का लगभग आधा हिस्सा रूस से आता है। इस बीच, रूस के हिस्से में कमी आने के साथ ही भारत के हथियारों के आयात में अमेरिका, इजरायल और फ्रांस की हिस्सेदारी पिछले 15 वर्षों में बढ़ी है। हालांकि, दिक्कत वाली बात यह है कि दुनिया के निर्यात में भारत की मामूली हिस्सेदारी है।
सेना पर ज्यादा खर्च करने के बावजूद, दुनिया के हथियारों के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी केवल 0.2 प्रतिशत है। इसके विपरीत, वर्ष 2017 और 2021 के बीच इजरायल की हिस्सेदारी 2.45 प्रतिशत और चीन की हिस्सेदारी 4.61 प्रतिशत थी। इस अवधि के दौरान विश्व हथियारों के निर्यात में यूक्रेन की हिस्सेदारी भारत की तुलना में तीन गुना थी।
