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यूरोपीय संघ के कार्बन कर से मुकाबले के लिए प्रावधान करे भारतः GTRI

GTRI ने यह सुझाव भी दिया है कि सरकार कार्बन कर का मु्द्दा हल किए बगैर यूरोपीय संघ के साथ किसी भी तरह का मुक्त व्यापार समझौता (FTA) न करे।

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भाषा
Last Updated- April 16, 2023 | 5:23 PM IST

आर्थिक शोध संस्थान GTRI ने यूरोपीय संघ (EU) के कार्बन कर की चुनौती से निपटने के लिए सरकार से एक जवाबी और विश्व व्यापार संगठन (WTO) मानकों के अनुरूप व्यवस्था बनाने को कहा है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने रविवार को EU के कार्बन कर के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार और भारतीय उद्योग जगत को यह सुझाव दिया। यह उसकी 13 सूत्री कार्ययोजना का हिस्सा है।

GTRI ने यह सुझाव भी दिया है कि सरकार कार्बन कर का मु्द्दा हल किए बगैर यूरोपीय संघ के साथ किसी भी तरह का मुक्त व्यापार समझौता (FTA) न करे। यूरोपीय संघ ने इस साल एक अक्टूबर से कार्बन सीमा समायोजन व्यवस्था (CBAM) लागू करने का फैसला किया है। इसके बाद एक जनवरी, 2026 से यूरोपीय संघ के भीतर आने वाले उत्पादों पर 20-35 फीसदी की दर से कर लगने लगेगा।

इस तरह जनवरी, 2026 से EU इ्स्पात, एल्युमिनियम, सीमेंट, उर्वरक, हाइड्रोजन एवं बिजली पर कार्बन कर लगाने लगेगा। इसका भारतीय निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। वर्ष 2022 में ही भारत ने 8.2 अरब डॉलर मूल्य के इस्पात, एल्युमिनियम एवं लौह उत्पाद यूरोपीय संघ को निर्यात किए थे।

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GTRI के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘जब अमेरिका ने भारत से इ्स्पात एवं एल्युमिनियम के आयात पर शुल्क लगाया था तो भारत ने भी अमेरिका से इन उत्पादों के आयात पर उतना ही कर लगा दिया था। भारत को यूरोपीय संघ की कार्बन कर व्यवस्था से मुकाबले के लिए उसी तरह का कदम उठाने के बारे में सोचना होगा।’

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अधिक कार्बन कर होने से शून्य शुल्क वाले FTA निरर्थक हो जाएंगे। इस वजह से भारत को यूरोपीय संघ के साथ अपने FTA को अंतिम रूप देते समय खास ध्यान रखने की जरूरत होगी।

First Published : April 16, 2023 | 5:23 PM IST