भारत और रूस ने आज विश्व को दिखा दिया कि उनकी सामरिक साझेदारी खास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने आज भारत-रूस शिखर बैठक की, जिसमें दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को और बढ़ाने के लक्ष्य के साथ कई क्षेत्रों को शामिल किया गया। मोदी ने अपनी शुरूआती टिप्पणी में कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद भारत और रूस के बीच संबंधों की गति में कोई बदलाव नहीं आया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक संबंध मजबूत हो रहे हैं तथा दोनों पक्ष अफगानिस्तान में स्थिति और अन्य मुद्दों पर संपर्क में बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में, विश्व ने कई मूलभूत परिवर्तन और विभिन्न प्रकार के भू-राजनीतिक बदलाव देखे हैं लेकिन भारत एवं रूस की मित्रता पहले जैसी बनी रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आपकी भारत यात्रा भारत के साथ आपकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।’
यह सालाना सम्मेलन कोविड-19 महामारी की वजह से 2020 में नहीं हो पाया था। इस सम्मेलन में भारत और रूस ने पहली बार दो-दो मंत्रियों की बैठक की, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मिलकर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव एवं रक्षा मंत्री सर्गेई सोइगू के साथ सामरिक चर्चा की। इस बैठक के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘आपसी मुद्दों को लेकर सकारात्मक चर्चा हुई। हम आज बाद में सालाना सम्मेलन में इसकी जानकारी देंगे।’ सोमवार को दिन में दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को नियंत्रित करने वाली शीर्ष संस्था- सैन्य तकनीकी सहयोग पर अंतर-सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी-एमटीसी) की बैठक हुई, जिसकी सह-अध्यक्षता दोनों रक्षा मंत्रियों सिंह और सोईगू ने की। भारतीय सेना रूस के हथियारों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करती है। इनमें सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान, टी-90 एस टैंक एवं बीएमबी इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल, तलवार श्रेणी के युद्धपोत, किलो-क्लास पनडुब्बी शामिल हैं।
दोनों देशों ने मिलकर ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल प्रणाली विकसित की है।
17वें सालाना सम्मेलन में दोनों देशों के बीच भारत द्वारा एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की पांच इकाइयां अनुमानित 37,000 करोड़ रुपये में खरीदे जाने, परियोजना 1135.6 के तहत तलवार श्रेणी के पोतों के विनिर्माण और भारत में कामोव 226टी हेलिकॉप्टर के विनिर्माण के लिए संयुक्त उद्यम पर शेयरधारक समझौता हुआ था।
एस-400 को विश्व की सबसे बेहतरीन लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली माना जाता है, जो दुश्मन के विमान को 400 किलोमीटर दूर से ही मार गिराने की क्षमता रखती है। पिछले दो साल से लद्दाख में चीनी और भारतीय सेनाओं के बीच तनाव के दौरान चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एस-400 तैनात कर दी है।
मोदी ने 3 मार्च 2019 को अमेठी में एक अन्य संयुक्त उद्यम इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड की घोषणा की थी, जिसमें मेक इन इंडिया के तहत कोरवा में 75,000 एके-203 असाल्ट राइफलों का विनिर्माण होगा। इसकी लागत 68.7 करोड़ डॉलर अनुमानित है।
