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India-Korea FTA: साउथ कोरिया से स्टील, चावल और झींगा के लिए ज्यादा मार्केट एक्सेस चाहता है भारत

भारत का दक्षिण कोरिया को निर्यात 2022-23 में 6.65 अरब डॉलर रहा था। 2021-22 में यह आठ अरब डॉलर था।

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भाषा   
Last Updated- February 04, 2024 | 7:06 PM IST

भारत ने दक्षिण कोरिया से स्टील, चावल और झींगा (steel, rice, and shrimp) जैसे कुछ उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अधिक बाजार की मांग की है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

दोनों देशों के बीच मौजूदा मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के अपग्रेडेशन के लिए बातचीत चल रही है। भारत ने वार्ता में इन मुद्दों को उठाया है। इसे आधिकारिक रूप से व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) कहा जाता है। यह समझौता जनवरी, 2010 में परिचालन में आया था। समझौते के अद्यतन पर वार्ता का 10वां दौर चल रहा है।

अधिकारी ने कहा, ‘हम स्टील, चावल और झींगा जैसे उत्पादों के लिए अधिक बाजार पहुंच की मांग कर रहे हैं।’ बैठक में भारत ने दक्षिण कोरियाई कंपनियों द्वारा भारतीय स्टील नहीं खरीदने का मुद्दे भी उठाया।

अधिकारी ने कहा, ‘भारत में कोरियाई कंपनियां भी दक्षिण कोरिया में अपनी स्थानीय कंपनियों को ऑर्डर देती हैं, इसलिए यह भारतीय कंपनियों के लिए दोहरी मार है। वहीं कोरियाई पक्ष ने यहां मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए कहा है।’

चावल पर दक्षिण कोरिया में पांच लाख टन का शुल्क दर कोटा है। इसके तहत उन्होंने पांच देशों – चीन, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, थाइलैंड और वियतनाम को 4.8 लाख टन का कोटा दिया है और बाकी देशों के पास केवल 20,000 टन का कोटा है।

अधिकारी ने कहा, ‘भारत अन्य श्रेणी में है। इसलिए हम या तो भारत को विशिष्ट श्रेणी में रखने या अपना कोटा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। दक्षिण कोरिया में चावल पर 513 प्रतिशत का आयात शुल्क है। वहीं झींगा पर पांच प्रतिशत का आयात शुल्क है।’

दूसरी ओर दक्षिण कोरिया वाहन कलपुर्जा और रसायन जैसे क्षेत्रों में अधिक बाजार पहुंच चाहता है। नौवें दौर की भारत-दक्षिण कोरिया CEPA अपग्रेडेशन वार्ता तीन-चार नवंबर, 2022 में हुई थी। भारत ने बढ़ते व्यापार घाटे पर चिंता जताई है।

भारत का दक्षिण कोरिया को निर्यात 2022-23 में 6.65 अरब डॉलर रहा था। 2021-22 में यह आठ अरब डॉलर था। वहीं आयात 2022-23 में 21.22 अरब डॉलर और 2021-22 में 17.5 अरब डॉलर था।

First Published : February 4, 2024 | 7:06 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)