मुक्त व्यापार समझौते पर दूसरे दौर की बातचीत के लिए भारत और कनाडा के अधिकारी अगले सप्ताह आभासी बैठक कर सकते हैं। इसका मकसद दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत करना है।
इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उम्मीद की जा रही है कि भारत दवाओं, रेडीमेड गार्मेंट, कृषि सामग्री और कुशल कामगारों की आसान आवाजाही, आईटी पेशेवरों के लिए ज्यादा नौकरियों के सृजन को लेकर जोर देगा।
वहीं कनाडा दलहन जैसे कृषि उत्पादों के लिए बाजार तक ज्यादा पहुंच की मांग कर सकता है। दोनों देश संवेदनशील सामान जैसे डेरी से दूरी बना सकते हैं। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारियों में से एक ने कहा, ‘व्यापार एवं निवेश पर पांचवें मंत्रिस्तरीय संवाद (एमडीटीआई) के तत्काल बाद पहले दौर की वार्ता शुरू हुई, जिसमें व्यापक मसलों पर चर्चा हुई थी। दूसरे दौर की चर्चा के बाद आगे और स्पष्टता आएगी और कुछ ठोस निकलकर आने की संभावना है।’
भारत और कनाडा ने 2010 में समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर बातचीत की शुरुआत की थी। बहरहाल इस मामले में दोनों देशों ने 5 साल में 10 दौर की वार्ता की, लेकिन उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकला।
मार्च में भारत और कनाडा की ओर से जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देश एक अंतरिम या शुरुआती प्रगति वाले व्यापार समझौते ((ईपीटीए) को अंतिम रूप देने पर विचार कर रहे हैं। इसमें वस्तुओं, सेवाओं, उत्पत्ति संबंधी नियमों, व्यापार में तकनीकी बाधाओं और विवाद निपटान जैसे विषय शामिल होंगे। दोनों देश द्विपक्षीय निवेश समझौते को आगे बढ़ाने पर भी सहमत हुए हैं।
दोनों देश अगले दौर की बातचीत के लिए बढ़ रहे हैं, वहीं कनाडा उच्चायोग के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि कनाडा के निर्यातकों को बाजार तक पहुंच से जुड़ी कुछ समस्याओं से जूझना पड़ रहा है, जिसमें भारत के कृषि क्षेत्र में पहले से अनुमान न लगाया जा सकने वाला शुल्क शामिल है।
प्रवक्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘कनाडा इस बात को जानकर खुश है कि भारत तेजी से विश्व बैंक के कारोबार सुगमता के पायदान पर बेहतर हो रहा है।’
