अंतरराष्ट्रीय

Trump Tariff से निपटने के लिए Commerce Ministry का ‘ग्लोबल दांव’

2023-24 में 119.71 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ US, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।

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निमिष कुमार   
Last Updated- April 07, 2025 | 8:51 PM IST

वाणिज्य मंत्रालय अमेरिकी शुल्क वृद्धि के बीच निर्यातकों के लिए नए बाजारों की खोज में मदद करने की कोशिश करने के साथ ही चीन जैसे देशों से आयात में संभावित वृद्धि की निगरानी के लिए एक कार्य समूह का गठन भी कर रहा है। एक सूत्र ने सोमवार को यह जानकारी दी।

सूत्र ने बताया कि वाणिज्य मंत्रालय निर्यातकों को सस्ती दरों पर ऋण प्रदान करने में समर्थन देने के लिए अपने निर्यात संवर्धन मिशन की शुरुआत में भी तेजी ला रहा है। इसके अलावा यूरोपीय संघ, ओमान, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) को लेकर बातचीत भी जारी है। मंत्रालय ने संबंधित अधिकारियों को भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन और फ्रांस जैसे 20 चिह्नित देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित करने का निर्देश भी दिया है। निर्यात प्रोत्साहन के लिए चिह्नित देशों में ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, बांग्लादेश, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, नीदरलैंड, रूस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया, तुर्किये, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका और वियतनाम शामिल हैं। भारतीय निर्यातकों के लिए इन देशों में अपार अवसर हैं।

ये घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आए हैं, जब निर्यातकों और उद्योगों ने अमेरिका द्वारा भारत पर अतिरिक्त 26 प्रतिशत आयात शुल्क लगाए जाने से नुकसान की आशंका जताई है। सरकार एमएसएमई निर्यातकों को आसान शर्तों पर ऋण प्रदान करने, उनके लिए फैक्टरिंग सेवाओं को मजबूत करके वैकल्पिक वित्तपोषण साधनों को बढ़ावा देने और अन्य देशों के गैर-शुल्क कदमों से निपटने के लिए सहायता प्रदान करने के लिए योजनाएं तैयार कर रही है। इन योजनाओं पर वाणिज्य, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और वित्त मंत्रालय काम कर रहे हैं। इन योजनाओं को वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित निर्यात संवर्धन मिशन के तहत तैयार किया जा रहा है। सरकार ने बजट में देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 2,250 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक निर्यात संवर्धन मिशन शुरू करने की घोषणा की थी। उद्योग जगत ने यह भी चिंता जताई है कि चीन जैसे देश अपने अधिशेष निर्यात का रुख भारत की तरफ कर सकते हैं। चीन को अमेरिका में 54 प्रतिशत शुल्क का सामना करना पड़ रहा है।

सूत्रों ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) को ऐसे आयातों पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए कहा गया है। वित्त वर्ष 2023-24 में अमेरिका 119.71 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं के द्विपक्षीय व्यापार के साथ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। वहीं चीन 118.39 अरब डॉलर के व्यापार के साथ भारत का दूसरा बड़ा व्यापारिक साझेदार था। भारत के कुल वस्तु निर्यात में अमेरिका का योगदान लगभग 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 प्रतिशत है। दूसरी ओर चीन की भारतीय निर्यात में हिस्सेदारी लगभग चार प्रतिशत और आयात में 15 प्रतिशत है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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First Published : April 7, 2025 | 8:47 PM IST