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G20 Summit 2023: भारत जी20 हेल्थ गोल हासिल करने में बन सकता है लीडर

नई दिल्ली घोषणा पत्र में इस बात पर जोर दिया गया कि अगले दो से तीन सालों में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं और हेल्थ सिस्टम को कोरोना महामारी-पूर्व स्तर से भी बेहतर बनाने की जरूरत है

Last Updated- September 10, 2023 | 10:22 PM IST

हाल ही में कोविड19 महामारी से उबरने के बाद, G20 देशों के नई दिल्ली घोषणा पत्र में भविष्य की महामारी से निपटने के लिए चर्चा की गई और कहा गया कि इसके लिए पहले से ही तैयारियों की जरूरत होगी। घोषणा पत्र में इस बात पर भी जोर दिया गया कि अगले दो से तीन सालों में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं और हेल्थ सिस्टम को उस स्तर से भी बेहतर बनाने की जरूरत है जो महामारी से पहले थी।

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे समाधानों के लिए न केवल निवेश की बल्कि काफी वैश्विक तालमेल की आवश्यकता होगी और भारत पहले ही वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग, रोगाणुरोधी प्रतिरोध अनुसंधान (antimicrobial resistance research) में अग्रणी भूमिका निभा चुका है।

शनिवार को G20 नेताओं की संयुक्त घोषणा (joint declaration ) में कहा गया है कि, ‘हम विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कोर में ग्लोबल हेल्थ आर्किटेक्चर को मजबूत करने और यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज हासिल करने के लिए अधिक लचीला, न्यायसंगत, टिकाऊ और समावेशी स्वास्थ्य प्रणालियों (inclusive health system) का निर्माण करने के साथ ही वन हेल्थ अप्रोच को लागू करने, महामारी से निपटने के लिए तैयारियों को बढ़ाने और मौजूदा संक्रामक रोग निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।’

इसे हासिल करने के लिए, सदस्य देश प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (primary health care ) और स्वास्थ्य कार्यबल (health workforce ) को मजबूत करने और आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं और स्वास्थ्य प्रणालियों को अगले 2-3 वर्षों के भीतर, आदर्श रूप से पूर्व-महामारी के स्तर से बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, साथ ही पोलियो उन्मूलन (polio eradication) की दिशा में प्रगति जारी रखेंगे। घोषणा में कहा गया है कि एड्स, टीबी, मलेरिया, हेपेटाइटिस और पानी से होने वाली बीमारियों और अन्य संचारी रोगों (communicable diseases) सहित चल रही महामारियों को समाप्त करना, लंबे समय तक चलने वाले कोविड-19 पर रिसर्च के महत्व को भी पहचानना है।

प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट और वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (Christian Medical College) में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर गगनदीप कांग जैसे विशेषज्ञ बताते हैं कि जहां समस्याएं हैं, या आवश्यकता हो सकती है, वहां समाधान लाना समझ में आता है, ऐसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य के लिए निवेश और समन्वय की आवश्यकता होती है। उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम, खरीद प्रणालियों (procurement systems) और तकनीकी क्षमता को मजबूत करने में बहुत सारी चुनौतियां हैं, इसलिए निवेश आवश्यक है (केवल फंडिंग नहीं बल्कि सरकार और इंडस्ट्री का ध्यान और बातचीत)।

G20 देशों ने Quadripartite की One Health Joint Plan of Action (2022-2026) द्वारा संचालित ‘One Health’ आधारित दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। घोषणा में यह भी कहा गया है कि G20 सदस्य मई 2024 तक महामारी की रोकथाम, तैयारियों और प्रतिक्रिया पर एक महत्वाकांक्षी, कानूनी रूप से बाध्यकारी WHO सम्मेलन, समझौते या अन्य अंतरराष्ट्रीय उपकरणों के लिए अंतर सरकारी वार्ता निकाय (Intergovernmental Negotiating Body -INB) ) में चल रही बातचीत के सफल परिणाम की आशा कर रहे हैं। इसके साथ ही इंटरनैशनल हेल्थ रेगुलेशन (2005) को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए संशोधन की भी उम्मीद कर रहे हैं।

इसके अलावा, G20 राष्ट्र विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC), LDC और SIDS में सुरक्षित, प्रभावी, किफायती और गुणवत्ता वाली वैक्सीन, चिकित्सीय, निदान आदि तक समान पहुंच की सुविधा प्रदान करेंगे। इसमें कहा गया है कि G20 देश अंतरिम चिकित्सा प्रतिउपाय समन्वय तंत्र (interim medical countermeasures coordination mechanism) के विकास के लिए WHO के नेतृत्व वाली समावेशी परामर्श प्रक्रिया का समर्थन करते हैं। यह स्थानीय और क्षेत्रीय अनुसंधान एवं विकास और मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं का लाभ उठाने और सभी तक डिलिवरी को मजबूत करने के लिए LMIC और अन्य विकासशील देशों की प्रभावी भागीदारी पर केंद्रित है।

भारत पहले से ही है वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग में लीडर

जहां तक भारत की बात है यह पहले से ही वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग में लीडर है और इसने पहले ही कदम उठाना शुरू कर दिया है।

उदाहरण के लिए, अदार पूनावाला का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) पहले से ही पुणे में एक प्लग-ऐंड-प्ले वैक्सीन बनाने की फैसिलिटी का निर्माण कर रहा है। यह किसी भी देश के लिए होगा, जिसे प्रकोप की स्थिति में वैक्सीन खुराक की तत्काल सप्लाई की आवश्यकता हो सकती है। महामारी से पहले SII के पास 1.5 अरब वार्षिक खुराक बनाने की क्षमता थी और वह लगभग 1.2 अरब खुराक बना रहा था, जो महामारी के दौरान बड़े पैमाने पर बढ़ी।

SII के CEO पूनावाला ने पहले बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया था कि वह विश्व के सभी नेताओं और देशों को इस 300,000 वर्ग फुट की पैंडेमिक फैसिलिटी की पेशकश कर रहे हैं, अगर उन्हें टीकों का स्टोरेज करने या किसी उत्पाद की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, ‘इसे एक पैंडेमिक फैसिलिटीके रूप में डिजाइन किया गया है और यह सभी अलग-अलग टेक्नोलॉजीज को हैंडल सकता है।’

First Published - September 10, 2023 | 6:12 PM IST

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