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वैकल्पिक मार्ग तलाश रहे निर्यातक

Last Updated- December 11, 2022 | 8:41 PM IST

यूक्रेन में रूस के हमले तेज होने के कारण निर्यातक रूस और स्वतंत्र राष्ट्रकुल (सीआईएस) के देशों को माल की खेप भेजने के लिए वैकल्पिक मार्ग तैयार कर रहे हैं। इसके लिए तीन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। पहला चिंगदाओ बंदरगाह के जरिये चीन के रास्ते। दूसरा अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) के जरिये, जो मुंबई को ईरान और अजरबैजान के रास्ते मॉस्को से जोड़ता है। इसके अलावा यूरोप के हैम्बर्ग से जॉर्जिया में पोती बंदरगाह तक माल पहुंचाने का विकल्प भी तलाशा जा रहा है।
फिलहाल वैश्विक जहाजरानी कंपनियां काला सागर के रास्ते रूस तक कार्गो की आवाजाही नहीं कर रही हैं। युद्घ खत्म होने के बाद भी काला सागर के रास्ते मौजूदा मार्ग का तत्काल इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। उद्योग के एक अधिकारी का कहना है कि यही वजह है कि भारत से माल भेजने के लिए अन्य रास्तों को तलाशा जा रहा है।
हालांकि मुख्य सीआईएस देशों से ज्यादा ध्यान रूस पर है क्योंकि इस मार्ग पर रूस और यूक्रेन को करीब तीन-चौथाई निर्यात होता है। सीआईएस देशों में अजरबैजान, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकस्तान, किर्गिस्तान, मालदोवा, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और यूक्रेन आते हैं। निर्यातकों का कहना है कि वे आईएनएसटीसी मार्ग का उपयोग करना चाहते हैं। इस बहु-राष्ट्रीय व्यापार गलियारे को भारत द्वारा विकसित किया गया है। इसके अलावा निर्यातक हैम्बर्ग के जरिये भी माल भेजने के इच्छुक हैं।
हालांकि चीन के रास्ते माल भेजने का विकल्प भी तलाशा जा रहा है लेकिन इसमें मुख्य चुनौती भारी यातायात की है और चीन इस बदंरगाह पर अपने कार्गो को तरजीह दे रहा है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि उत्तरी चीन से रूस के मार्ग को नए सिरे से तैयार करने में अभी समय लगेगा।
उक्त अधिकारी ने कहा, ‘हम संभावना तलाश रहे हैं कि भारत के लिए कौन सा विकल्प बेहतर हो सकता है। आईएनएसटीसी किफायती मार्ग भी है। इसके जरिये माल भेजने में पारंपरिक रास्ते की तुलना में 40 फीसदी कम समय लगता है। अगर हम इस रास्ते का उपयोग करना चाहते हैं तो इसका सही समय यही है।’
भारत, ईरान और रूस आईएनएससीटी परियोजना के संस्थापक सदस्य हैं। भारत और सीआईएस देशों के बीच व्यापार के लिए छोटे रास्ते तलाशने के मकसद से चार साल पहले इस मार्ग को परिचालन में लाया गया था क्योंकि भारत और सीआईएस देशों में खेप पहुंचने में पारंपरिक रास्ते से काफी समय लग जाता है। हालांकि इस रास्ते को लेकर भी कई तरह की चुनौतियां हैं।
एक अधिकारी ने कहा, ‘आईएनएसटीसी मार्ग में समस्या यह है कि इसमें चाबहार तक कोई नियमित शिपिंग लाइन नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस मार्ग पर पर्याप्त जहाजों की आवाजाही नहीं होती है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए निर्यातक उम्मीद कर रहे हैं कि इस मार्ग पर माल की आवाजाही बढ़ सकती है। इससे नियमित शिपिंग लाइन भी चालू हो जाएगी।’
उन्होंने कहा कि दूसरी चुनौती बैंकिंग से संबंधित है। चाबहार बंदरगाह प्रतिबंध के दायरे में नहीं है लेकिन कई भारतीय बैंक चाबहार के जरिये मध्य एशियाई देशों को जाने वाले माल के लिए दस्तावेजों की सुविधा देने से परहेज करते हैं।

First Published - March 20, 2022 | 11:04 PM IST

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