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BloombergNEF ने चेतावनी दी: लिथियम आयन बैटरी बनाने वाली फैक्ट्रियां लाएंगी बैटरियों की बाढ़

BNEF रिपोर्ट के अनुसार, बैटरी बनाने वाली कंपनियां साल 2025 के अंत तक दुनियाभर में इतनी बैटरी बना पाएंगी, जितनी की उस साल दुनिया को कुल ज़रूरत से पांच गुना ज़्यादा है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- June 12, 2024 | 4:25 PM IST

दुनिया भर में बन रहे बैटरी कारखानों से इतनी बैटरी बनेंगी, जितनी की ज़रूरत नहीं है, ऐसा BloombergNEF की एक नई रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है।

लिथियम वाली बैटरी की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ रही है। गाड़ियां बनाने वाली कंपनियां अब इलेक्ट्रिक गाड़ियां ज़्यादा बना रही हैं और बिजली कंपनियां भी बिजली की सप्लाई को सही रखने के लिए बड़ी बैटरी लगा रही हैं।

परेशानी ये है कि जितनी बैटरी की ज़रूरत है, उससे कहीं ज़्यादा बनाने के लिए कंपनियां नए कारखाने खोल रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले 10 सालों में ज़रूरत से ज़्यादा ही बैटरी बनने लगेंगी।

BNEF रिपोर्ट के अनुसार, बैटरी बनाने वाली कंपनियां साल 2025 के अंत तक दुनियाभर में इतनी बैटरी बना पाएंगी, जितनी की उस साल दुनिया को कुल ज़रूरत से पांच गुना ज़्यादा है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ये स्थिति गाड़ी बनाने वाली कंपनियों और इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने वालों के लिए अच्छी ज़रूर है, लेकिन नई बैटरी कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।

ये दिक्कत खासकर चीन में ज़्यादा है, जहां अगले 10 सालों तक हर साल बनने वाली बैटरीज़, ज़रूरत से चार गुना ज़्यादा हो सकती हैं। अमेरिका में भी यही समस्या है। वहां राष्ट्रपति जो बाइडेन अपनी कोशिशों के ज़रिए देश में ही बैटरी बनाने का कारोबार बढ़ाना चाहते हैं।

इसीलिए उन्होंने फोर्ड कंपनी को तीन बैटरी कारखाने बनाने के लिए 9.2 बिलियन डॉलर का लोन देने का भी सोचा था। यूरोप में भी यही हाल है, वहां भी ज़रूरत से ज़्यादा बैटरी बनाने की फैक्ट्रियां बन रही हैं, और सरकारें और भी ज़्यादा फैक्ट्रियां लगवाने का दबाव डाल रही हैं।

दुनिया भर में कुछ बनने वाली फैक्ट्रियों में देरी हो सकती है या उन्हें रद्द कर दिया जा सकता है क्योंकि इस उद्योग में पहले से ही बहुत अधिक उत्पादन हो रहा है। ये जानकारी BNEF में ऊर्जा भंडारण शोध की प्रमुख यायोई सेकीने ने दी है। उदाहरण के तौर पर, फोर्ड कंपनी ने बैटरी से चलने वाली कारों और ट्रकों की कीमतों में हो रहे युद्ध को देखते हुए इलेक्ट्रिक गाड़ियों के उत्पादन को बढ़ाने की अपनी योजना को कम कर दिया है। यायोई सेकीने ने एक ईमेल में कहा कि “यह अमेरिका सहित हर जगह एक समस्या होगी।

वहीं, बैटरी बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले रसायन भी बदल रहे हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि लिथियम आयरन फॉस्फेट बैटरी इलेक्ट्रिक कारों को चलाने के लिए, खासकर चीनी वाहन निर्माताओं के बीच, तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।

इन बैटरियों को बनाने के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है वो स्टैंडर्ड लिथियम-आयन सेल्स से सस्ती होती हैं, जो निकेल, मैंगनीज और कोबाल्ट का इस्तेमाल करती हैं। इस बदलाव से भविष्य में इन धातुओं की मांग काफी कम हो सकती है। BNEF ने अगले साल बैटरी में इस्तेमाल होने वाले निकेल की मात्रा के पूर्वानुमान को 25% घटा दिया है। (ब्लूमबर्ग के इनपुट के साथ)

First Published : June 12, 2024 | 4:12 PM IST