संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी ने चेताया है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में होते जा रहे विकास के परिणामस्वरूप यहूदी नरसंहार (होलोकॉस्ट) की घटना से इनकार के मामलों में नया उछाल आ सकता है। यूनेस्को द्वारा मंगलवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है कि AI के परिणामस्वरूप यहूदी नरसंहार के बारे में ऑनलाइन झूठे और भ्रामक दावे किए जा सकते हैं।
इसमें कहा गया है कि ऐसा या तो ‘प्रोग्राम’ में खामियों के कारण होगा या फिर नफरत करने वाले समूह और ‘होलोकॉस्ट’ से इनकार करने वाले लोग जानबूझकर AI ‘प्रोग्राम’ का उपयोग ऐसी सामग्री उत्पन्न करने के लिए करेंगे जो नाजियों द्वारा यहूदियों और अन्य समूहों की हत्या पर गलत तरीके से सवाल उठाएगी।
सबसे बड़ी चिंताओं में से एक यह है कि AI का उपयोग ‘होलोकॉस्ट’ के तथाकथित डीपफेक बनाने के लिए किया जा सकता है। ऐसा यह बताने के लिए किया जा सकता है कि ‘होलोकॉस्ट’ जैसा कुछ हुआ ही नहीं था या फिर यह अतिरंजित था। इससे यहूदी विरोधी भावना बढ़ सकती है और 20वीं सदी के इतिहास के एक महत्वपूर्ण क्षण से जुड़ी समझ में कमी आ सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ AI के सहयोग से संचालित ‘प्रोग्राम’ उपयोगकर्ताओं को नकली ऐतिहासिक हस्तियों के साथ बातचीत करने की अनुमति देते हैं जिनमें एडॉल्फ हिटलर जैसे प्रमुख नाजी शामिल हैं। यह रिपोर्ट ‘विश्व यहूदी कांग्रेस’ के साथ साझेदारी में प्रकाशित की गई है।